रिपोर्ट: अब्दुल नईम
? नई दिल्ली।
सत्य पाल मलिक (24 जुलाई 1946 – 5 अगस्त 2025) एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने पांच भारतीय राज्यों, अर्थात् बिहार , ओडिशा , जम्मू और कश्मीर , गोवा और मेघालय के राज्यपाल के रूप में कार्य किया मंगलवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दोपहर 1:12 बजे अंतिम सांस ली। वे काफी समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे।मलिक का लंबी बीमारी के बाद 5 अगस्त 2025 को 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
सत्यपाल मलिक भारतीय राजनीति के उन विरले चेहरों में शामिल रहे, जिन्होंने सत्ता में रहते हुए भी कई बार सरकार की नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ खुलकर बयान दिए। उनका राजनीतिक सफर छात्र राजनीति से शुरू होकर राज्यपाल पद तक पहुँचा और इस दौरान उन्होंने कई दलों का दामन थामा।
प्रारंभिक जीवन:
सत्य पाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत (अब भारत के उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में) के मेरठ जिले के एक गाँव हिसावदा में एक हिंदू जाट परिवार में हुआ था।
मलिक ने मेरठ विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक और विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की ।
---
सियासत का लंबा सफर
मलिक की राजनीति की शुरुआत चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (मेरठ) से छात्र राजनीति के माध्यम से 1968-69 में हुई।
1974 में भारतीय क्रांति दल से बागपत से विधायक चुने गए।
1980 में लोकदल से राज्यसभा पहुंचे।
1984 में कांग्रेस जॉइन की, लेकिन बाद में अलग होकर जन मोर्चा नामक अपनी पार्टी बनाई।
1988 में जन मोर्चा का विलय जनता दल में किया और 1989 में अलीगढ़ से लोकसभा सांसद बने।
इसके बाद समाजवादी पार्टी से 1996 में चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए।
2004 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए, पर एक बार फिर बागपत से हार का सामना किया।
2012 में भाजपा ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया।
---
राज्यपाल रहते ऐतिहासिक घटनाओं के साक्षी
2017 में सत्यपाल मलिक को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इसके बाद
23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे।
यहीं उनके कार्यकाल के दौरान 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाया गया, जिसने जम्मू-कश्मीर की सियासी और संवैधानिक स्थिति को पूरी तरह बदल दिया।
इसके बाद वे गोवा (2019) और मेघालय (2020–2022) के राज्यपाल भी रहे।
उन्होंने 2018 में ओडिशा का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला।
---
भ्रष्टाचार पर खुलकर बोलने वाले राज्यपाल
2021 में सत्यपाल मलिक ने राजस्थान के झुंझुनूं में एक कार्यक्रम के दौरान बड़ा खुलासा करते हुए कहा था कि उन्हें जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल रहते हुए दो बड़ी फाइलों के बदले 150-150 करोड़ रुपए रिश्वत की पेशकश की गई थी।
उन्होंने कहा था,
> "मैंने कहा था कि मैं पांच कुर्ता-पायजामे के साथ आया हूं और सिर्फ उसी के साथ यहां से चला जाऊंगा। जब CBI पूछेगी, तो मैं नाम भी बताऊंगा।"
मलिक के अनुसार, इनमें से एक फाइल एक बड़े उद्योगपति की थी और दूसरी, तत्कालीन महबूबा मुफ्ती और भाजपा सरकार के एक मंत्री से जुड़ी थी।
---
CBI की जांच और चार्जशीट
उनके कार्यकाल से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच CBI कर रही है।
22 मई 2025 को CBI ने सत्यपाल मलिक सहित 5 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
आरोप है कि जम्मू-कश्मीर के कीरू हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में 2,200 करोड़ रुपये के सिविल वर्क में घोटाला हुआ था।
इससे पहले 22 फरवरी 2024 को CBI ने दिल्ली सहित 30 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की थी।
CBI ने दो FIR दर्ज की हैं:
1. पहली FIR, 60 करोड़ रुपये की बीमा योजना में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है।
2. दूसरी FIR, कीरू पावर प्रोजेक्ट में निजी कंपनी को दिए गए अनुबंध से जुड़ी है।
---
अंतिम विदाई:
सत्यपाल मलिक का निधन ऐसे समय में हुआ है जब वे CBI की जांच और अदालत की प्रक्रिया से गुजर रहे थे। बावजूद इसके, उन्हें भारतीय राजनीति में एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा, जो सत्ता में रहकर भी सत्ता के खिलाफ बोलने का साहस रखता था।
---
निष्कर्ष
राजनीति में ऐसे लोग कम ही होते हैं जो सत्ता, सच्चाई और सिद्धांतों के बीच संतुलन बनाए रख सकें। सत्यपाल मलिक ने न केवल कई संवैधानिक पदों की गरिमा निभाई, बल्कि जब जरूरत पड़ी तो व्यवस्था के खिलाफ आवाज भी उठाई।
उनका जीवन सियासत के विद्यार्थियों और लोकतंत्र में विश्वास रखने वालों के लिए एक शिक्षा की तरह रहेगा।
---
?️ ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
© Copyright All rights reserved by India Khabar 2025