Tranding

निजीकरण के खिलाफ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने भरी हुंकार।

ऊर्जा निगमों में आपातकाल लगाकर निजीकरण का टेंडर जारी करने की कोशिश।

 किस बिडिंग डॉक्यूमेंट के आधार पर किया जा रहा है निजीकरण, संघर्ष समिति ने उठाया सवाल।

बक्शीपुर पावर हाउस पर कर्मचारियों ने किया जोरदार प्रदर्शन।

भारत समाचार एजेंसी

 गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, गोरखपुर ने कहा है कि ऊर्जा निगमों में आपातकाल लगाकर पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन निजीकरण का टेंडर निकालने की साजिश रच रहा है। निजीकरण के किसी भी टेंडर के पहले संघर्ष समिति ने सवाल किया है कि किस स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के आधार पर निजीकरण किया जा रहा है, उसे सार्वजनिक किया जाय। टेंडर जारी होते ही जेल भरो आंदोलन शुरू करने की तैयारी में आज झांसी और पारीछा में विशाल आम सभा हुई।

    संघर्ष समिति के पदाधिकारियों इं. जीवेश नन्दन , इं. जितेन्द्र कुमार गुप्त, इं. शिवमनाथ तिवारी, इं. अमित आनंद, इं. सौरभ श्रीवास्तव, इं. सुधीर कुमार राव, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, राकेश चौरसिया, विजय बहादुर सिंह, राजकुमार सागर, करुणेश त्रिपाठी, विमलेश पाल, विकास श्रीवास्तव, जगन्नाथ यादव, ओम गुप्ता, एवं सत्यव्रत पांडे आदि तथा जे ई संगठन के पदाधिकारियों  इं. शिवम चौधरी, इं. अमित यादव, इं. विजय सिंह, इं. श्याम सिंह, इं. एन के सिंह , इं. प्रमोद यादव एवं इं. रणंजय पटेल ने बताया कि शक्ति भवन के प्रबंधकीय गलियारों में यह चर्चा है कि बड़े पैमाने पर उत्पीड़न और दमन कर ऊर्जा निगमों में आपातकाल लगाकर प्रबन्धन पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के टेंडर जारी करने की कोशिश में है। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता पूरी तरह सतर्क हैं और प्रबन्धन की ऐसी किसी भी साजिश का करारा जवाब दिया जाएगा। पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार टेंडर जारी होते ही बिजली कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता किसानों तथा गरीब व मध्यमवर्गीय घरेलू उपभोक्ताओं के साथ मिलकर सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरू कर देंगे जिससे उत्पन्न किसी भी स्थिति की सारी जिम्मेदारी प्रबन्धन की होगी।

     संघर्ष समिति ने यह सवाल भी उठाया कि प्रबन्धन को यह बताना चाहिए कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किस स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के आधार पर किया जा रहा। पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन को निजीकरण के टेंडर जारी करने के पहले इस डॉक्यूमेंट को सार्वजनिक करना चाहिए। संघर्ष समिति ने कहा कि लाखों करोड़ रुपए की परिसंपत्तियों को किसी गोपनीय दस्तावेज के आधार पर नहीं बेचा जा सकता है।

    संघर्ष समिति ने कहा कि सितम्बर 2020 में भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण हेतु एक स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट जारी कर इस पर सभी स्टेक होल्डर्स के कमेंट्स मांगे थे। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने इस ड्राफ्ट पर आपत्ति दर्ज की थी। भारत सरकार ने सितम्बर 2020 के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट को आज तक फाइनल नहीं किया है। भारत सरकार ने इसे वापस भी नहीं लिया है। अब बताया जा रहा है कि अप्रैल 2025 में कोई नया ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट जारी हुआ है जिसमें निजी घरानों के पक्ष में कई शर्तें शिथिल कर दी गई हैं। अप्रैल 2025 का ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट न तो भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय की वेब साइट पर है और न ही केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय ने इसे सर्कुलेट किया है। एक प्रकार से यह डॉक्यूमेंट गोपनीय जैसा है फिर स्टेक होल्डर्स की आपत्ति मांगे बिना कैसे इसके आधार पर निजीकरण किया जा सकता है। यह आम उपभोक्ताओं के साथ धोखा होगा।

    जेल भरो आंदोलन की तैयारी में आज विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र और राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन ने संयुक्त रूप से झांसी और पारीछा ताप बिजली घर में आम सभा की। आम सभा में बिजली कर्मियों ने संकल्प लिया कि निजीकरण का टेंडर होते ही अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।

    ऊर्जा निगमों में आपातकाल के विरोध में और जेल भरो आंदोलन की तैयारी में वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, हरदुआगंज, जवाहरपुर, परीक्षा, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा में सभा हुई।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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