ज्ञानवान व्यक्ति समाज के विकास में योगदान देते हैं : अरशद अंसारी
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
मियां साहब इस्लामिया इंटर कॉलेज बक्शीपुर के प्रधानाचार्य मुख्तार अहमद ने कहा कि विद्यार्थियों का उद्देश्य केवल डिग्री हासिल करना नहीं होना चाहिए बल्कि व्यक्तित्व के विकास के चलते अच्छा और काबिल इंसान बनने के लिए शिक्षा हासिल करनी चाहिए। विद्यार्थी ज्यादा से ज्यादा शिक्षा हासिल कर जीवन का लक्ष्य हासिल करें, क्योंकि शिक्षा एक ऐसा खजाना है जिसे कोई छीन नहीं सकता।
उक्त बातें मुख्तार अहमद ने जामिया अल इस्लाह एकेडमी नौरंगाबाद में समर कैंप के अंतिम दिन बतौर मुख्य अतिथि कही।
विशिष्ट अतिथि प्रयागराज से आए मोटिवेशनल स्पीकर मुहम्मद अरशद अंसारी ने कहा कि जैसे-जैसे आप शिक्षा का उपयोग करते हैं, आपका ज्ञान और समझ बढ़ती जाती है, और आप अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित होते हैं। शिक्षा का सही उपयोग तभी होता है जब आप उस पर अमल करते हैं, यानी उसे अपने जीवन में लागू करते हैं। शिक्षा को केवल ज्ञान के रूप में रखने से नहीं, बल्कि उसे व्यवहार में लाने से इसका वास्तविक महत्व प्रकट होता है। शिक्षा समाज को भी लाभान्वित करती है। ज्ञानवान व्यक्ति समाज के विकास में योगदान देते हैं और बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।
कैंप में बच्चों ने लघु नाटक पेश किया। सामाजिक कार्यकर्ता प्रसेन व अम्बरीष ने कविता, गीत व कहानी पेश की। कारी मुहम्मद अनस रजवी ने शिक्षा की अहमियत पर बच्चों से सवाल जवाब किया। उत्कृष्ट जवाब देने वाले बच्चों को संत झूलेलाल नगर के पार्षद नूर मुहम्मद ने ईनाम से नवाजा। कुरआन-ए-पाक की तिलावत हाफिज रहमत अली निजामी ने की। नात-ए-पाक भी उन्होंने पेश की।
अध्यक्षता कर रहे नायब काजी मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी, विद्यालय के संस्थापक अली अहमद व संचालक आसिफ महमूद ने कहा कि इल्म अल्लाह का दिया वह अनमोल खजाना है, जो बांटने से कभी कम नही होता, बल्कि बढ़ता है। आज के नौजवानों को अपने दीन और ईमान की मुकम्मल जानकारी रखनी चाहिए। बुजुर्गो का दायित्व है कि वह नौजवानों को मजहब के प्रति जागरूक बनाएं और नौजवान दीन ईमान को अपने जिंदगी में अमल में लाएं। इस्लाम की रोशनी उन्हें अपने मंजिल के रास्ते से कभी भटकने नहीं देगी।
सामूहिक रूप से दुआ कर समर कैंप का समापन हुआ। इस मौके पर हाजी रईस अहमद, मुहम्मद आज़म, प्रधानाचार्या आयशा खातून, उप प्रधानाचार्या शीरीन आसिफ, बेलाल अहमद, मुहम्मद अनस, फैजान सरवर, तनवीर, आरजू, अदीबा, सैयद शम्स, फरीदा, मंतशा, फरहीन, आयशा, सना, फरहत, यासमीन, गुल अफ्शा, नाजिया, आफरीन, तानिया, यासमीन, मुनाजिर हसन, अकलीमा, सैयद ताहिब, सैयद फरहान अहमद कादरी आदि मौजूद रहे।
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