115वीं जयंती पर याद किए गए राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर
रिपोर्ट:विनोद विरोधी
गया, बिहार।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 115 वीं जयन्ति की पूर्व संध्या पर कांग्रेस पार्टी के तत्वावधान मे स्थानीय चौक स्थित इंदिरा गाँधी प्रतिमा स्थल प्रांगण मे "राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने देश मे क्रान्तिकारी आन्दोलन को स्वर दिया " विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया।गोष्ठी की अध्य्क्षता बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि विजय कुमार मिठु व संचालन प्रो अनिल कुमार सिन्हा ने किया।इस अवसर पर वक्ताओं ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के चित्र पर माल्यार्पण व उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए गोष्ठी को संबोधित किया।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए वक्ताओ ने कहा की रामधारी सिंह दिनकर स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रुप मे स्थापित हुए तथा स्वतन्त्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये। एक ओर उनकी कविताओ मे ओज, विद्रोह, आक्रोश, और क्रांति की पुकार है,तो दूसरी ओर कोमल, श्रृंगारिक भावनाओ की अभिव्यक्त है।
वक्ताओ ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी एवं देश के प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहर लाल नेहरू के पसंद राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को राज्यसभा भेजा गया था ,परन्तु दिनकर हमेशा नेहरु पर भी बेबाक बाते बोलते थे। जैसे 1962 मे चीन से हार के बाद दिनकर ने ऐसी कविता की पाठ की,जिससे नेहरू का भी सिर झुक गया था। कविता थी-" देखने में देवता सदृश्य लगता है, बंद कमरे मे बैठकर हुक्म लिखता है।"
गोष्ठी को डॉ मदन कुमार सिन्हा, जिला कांग्रेस उपाध्य्क्ष बाबुलाल प्रसाद सिंह, राम प्रमोद सिंह, लूलन सिंह,विपिन कुमार सिन्हा, कुंदन कुमार, गया जिला युवा कांग्रेस अध्यक्ष विशाल कुमार, मो. शामिल आलम, मो मोजमिल, शशि कांत सिन्हा, महावीर सिंह,उदय शंकर पालित, मो अजहरुद्दीन, मो समद, प्रदुम्न दूबे, शिव कुमार चौरसिया, श्रवण पासवान, सकलदेव यादव, मो आफताब आलम, अहमद राजा खान, आदि ने संबोधित किया।
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