शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया, बिहार।
बिहार सरकार का पुलिस मुख्यालय द्वारा पुलिस तंत्र को हाईटेक और अत्याधुनिक बनाने के दावे लगातार किए जा रहे हैं,लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है,इससे कोई तालमेल नहीं बैठता दिखता है।बेतिया जिले के 7 ऐसे थाने हैं, जिनकी हालत बिल्कुल जर्जर के साथ इनमें न्यूनतम बुनियादी सुविधाओं की भी अभाव है,यह थाने 2024 हाल ही में ओ पी थाना से पूर्ण रूप से थाना मेंअपग्रेड किए गए हैं,लेकिन अब तक इनमें न भवन,हवालात मालखाना, नहींआधुनिक निगरानी प्रणाली,जैसे सीसीटीवी या सीसीटीएनएस व्यवस्था ही है।
इसमें बेतिया पुलिस जिला के कालीबाग,मनवापुल,बानू छापर,शनिचरी,नवलपुर, सी सिरिसिया,कुमारबाग थानों की स्थिति,पुलिस व्यवस्था की दुर्दशा की कहानी खुद बयां करती है। उदाहरण के लिए बानूछप्पर थाना केवल दो कमरों में चलता है,एक छोटा कमरा थानाअध्यक्ष के लिए, दूसरा अन्य कर्मियों के बैठने के लिए,सीसीटीवी कैमरा, ऑनलाइन प्रणाली और ना ही सिपाहियों के लिए बैरक आगंतुकों को बैठने के लिए कोई इंतजाम नहीं है।
मनवापुल थाना राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 727 के किनारे स्थित है,जो सड़क के बिल्कुल मुहाने पर होने के कारण किसी भीअनियंत्रित वाहन के टकराने की स्थिति में बड़ा हादसा हो सकता है,यह थाना भी दो कमरों का है, और पूरी तरह से सुविधा विहीन है,कालीबाग थाना की स्थिति और भी चिंताजनक है, यहां ना भवन,हवालात, सीसीटीवी और ना ही ऑनलाइन सुविधा,पिछले साल इसी थाना से एक गांजा तस्कर भी फरार हो गया था, क्योंकि उसे रखने के लिए सुरक्षित हवालात भी मौजूद नहीं है।
संवाददाता ने खबर संकलन के क्रम में इन सभी 7 नौप्रोन्नत थानों की स्थिति का जायजा लिया,जायजा लेने के उपरांत ही खबर बनाया गया है।सरकार की पुलिस विभाग की स्थिति ऐसी है कि केवल घोषणा हो जाती है,काम अधूरा पड़ा रह जाता है।
जिला के और भी थाने हैं जिनमें स्थिति भी ऐसा ही नजरआ रहा है,कुछ थानों को छोड़कर अन्य सभी थानों की स्थिति एक जैसा ही है। शहरी क्षेत्र की थानों की स्थिति कुछ ठीक भी है,मगर ग्रामीण क्षेत्र के थानों की स्थिति बद से बदतर है,कोई पदाधिकारी पूछने वाला तक नहीं है।
केवल दिखावे की सरकार चल रही है,विशेष कर पुलिस विभाग,इस विभाग के द्वारा घोषणाएं बहुत होती हैं, लेकिन धरातल पर उसकी कोई सच्चाई नहीं है।
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