सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
रोजेदार रोज़ा-नमाज़ के जरिए अल्लाह को राज़ी करने में जुटे हुए हैं। माह-ए-रमज़ान का सातवां रोज़ा रोज़ेदारो ने सुब्हानअल्लाह, अलहम्दुलिल्लाह, अल्लाहु अकबर का विर्द करते हुए गुजारा। जब दुआ में हाथ उठा तो दिल से यही सदा निकली 'या इलाही हर जगह तेरी अता का साथ हो, जब पड़े मुश्किल शहे मुश्किल कुशा का साथ हो'। तरावीह की नमाज़ जारी है। बाजार में चहल-पहल है। दिन व रात खुशगवार है। घर व मस्जिद में कुरआन-ए-पाक पढ़ा जा रहा है। आखिरी पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, उनके घर वालों व उनके साथियों पर दरूदो सलाम पेश किया जा रहा है। घरों में महिलाओं की जिम्मेदारी बढ़ गई है। इफ्तार व सहरी में दस्तरख्वान बेहतरीन खानों से सजा नज़र आ रहा है। मस्जिदों में रमज़ान का दर्स चल रहा है। रहमत का अशरा जारी है। दस रोज़ा पूरा होने के बाद मग़फिरत का अशरा शुरु होगा। हाफिज अशरफ रज़ा इस्माईली द्वारा हिंदी में लिखित रमज़ान के मसाइल किताब घर-घर पहुंचाने का सिलसिला जारी है।
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