सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
नायब काजी मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने बताया कि माह-ए-रमज़ान में सदका-ए-फित्र निकाला जाता है। सदका-ए-फित्र हर मालिके निसाब पर अपनी और अपनी नाबालिग औलाद की जानिब से अदा करना ईद के दिन वाजिब होता है लेकिन ज़कात की तरह इसमें माल पर साल गुजरना जरुरी नहीं है, बल्कि ईद के दिन फ़ज्र तुलू होने से पहले भी अगर निसाब भर माल का मालिक हो गया तो उस पर सदका-ए-फित्र वाजिब है। जो गरीबों, यतीमों व बेसहारा मुसलमानों को दिया जाता है। इसको निकालने में जल्दी करें ताकि ग़रीब भी खुशियों में शामिल हो सकें। जितनी जल्दी आप सदका-ए-फित्र निकालेंगे उतने जल्दी ही वह ग़रीबों के लिए फायदामंद होगा। गोरखपुर के मुसलमानों के लिए गेहूं की कीमत के ऐतबार से सदका-ए-फित्र की मिकदार एक आदमी की तरफ से 60 रुपया है, आप अपनी ताकत और तौफीक के मुताबिक जौ, खजूर या मुनक्का की कीमत भी 4 किलो 94 ग्राम का लिहाज़ करते हुए सदका-ए-फित्र निकाल सकते हैं।
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