सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन ने बताया कि रोज़ा रखने में बहुत सी हिकमतें है रोज़ा रखने से भूख और प्यास की तकलीफ़ का पता चलता है। जिससे खाना-पानी की कद्र मालूम होती है और इंसान अल्लाह का शुक्र अदा करता है। रोज़ा से भूखों और प्यासों पर मेहरबानी का जज्बा पैदा होता है क्योंकि मालदार अपनी भूख याद करके ग़रीब मोहताज की भूख का पता लगाता है। रोज़ा से भूख के बर्दाश्त करने की आदत पड़ती है। अगर कभी खाना मयस्सर न हो तो घबराता नहीं और अल्लाह की नाशुक्री नहीं करता। भूख बहुत सी बीमारियों का इलाज है। डॉक्टर व हकीम बताते हैं कि रोज़ा बहुत सी बीमारियों का इलाज है क्योंकि इससे कुव्वते हाजमा की इस्लाह होती है। रोज़ा ब्लड प्रेशर, कैंसर, फालिज, मोटापा, चमडे़ की बीमारियों और भी बहुत सारी बीमारियों में फायदा बख्श है जैसा की विशेषज्ञों का शोध है। रोज़ा सिर्फ इंसान ही की तरफ से अदा की जाने वाली इबादत है। फरिश्ते और दीगर मख्लूक इसमें शामिल नहीं और रोज़ा रखने की सबसे बड़ी हिक्मत यह है कि इससे परेहजगारी मिलती है जैसा कि अल्लाह का फरमान है।
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