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शब-ए-मेराज में सजी महफ़िल, हुई इबादत।

सैय्यद फरहान अहमद

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

शब-ए-मेराज के मुबारक मौके पर कई मस्जिद व घरों में इबादत हुई। कुरआन-ए-पाक की तिलावत की गई। सलातुल तस्बीह व अन्य नफ्ल नमाज पढ़ी गई। मस्जिद व घरों में अल्लाह व पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जिक्र होता रहा। दरूदो सलाम का नज़राना पेश किया गया। उलमा किराम ने कहा कि यह वही मुबारक रात है जब पैग़ंबरे इस्लाम सात आसमानों के पार अर्श-ए-आज़म से आगे ला मकां में अल्लाह के दीदार व मुलाकात से सरफ़राज हुए और तोहफे में पांच वक्त की नमाज़ मिली।

दावते इस्लामी इंडिया की ओर से जामा मस्जिद रसूलपुर में महफिल हुई। कुरआन-ए-पाक की तिलावत मो. इब्राहीम अत्तारी ने की। हम्द आमिर मदनी ने पेश की। नात व कसीदा मेराजिया मो. आदिल अत्तारी ने पेश किया। सलातुल तस्बीह की नमाज़ कारी मो. इब्राहीम अत्तारी ने पढ़ाई। जिक्र हुआ। मिलकर सहरी खाई गई। 

मुख्य वक्ता मो. फरहान अत्तारी ने कहा कि मेराज की रात में पैग़ंबरे इस्लाम ने रात के एक भाग में मस्जिद-ए-हराम से मस्जिद-ए-अक़्सा तक यात्रा की, जिसका वर्णन कुरआन में अल्लाह ने सूरह बनी इस्राइल में किया है। मस्जिद-ए-अक़्सा से पैग़ंबरे इस्लाम सात आसमानों की सैर पर गए। आसमानी यात्रा को मेराज कहा जाता है। इसका वर्णन कुरआन में अल्लाह ने सूरह नज़्म में किया है और अन्य बातें हदीसों में विस्तृत रूप में बयान हुई हैं।

चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर की महफिल में मौलाना महमूद रज़ा ने कहा कि शब-ए-मेराज का जिक्र कुरआन व हदीस की बेशुमार किताबों में कसरत के साथ है। शब-ए-मेराज का वाकया पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अज़ीम मोजज़ा है। मेराज शरीफ में पैग़ंबरे इस्लाम बैतुल मक़दिस में पहुंचे। बुराक से नीचे उतरे और अपनी सवारी को उसी स्थान पर बांधा जहां अन्य पैग़ंबर बांधा करते थे, फिर मस्जिद के अंदर चले गए और सारे पैग़ंबरों व फरिश्तों को जमात से नमाज़ पढ़ाई, फिर हज़रत जिब्राईल के साथ आसमान-ए-दुनिया की सैर को गए। सिदरतुल मुंतहा के बाद का सफ़र पैग़ंबरे इस्लाम ने स्वयं से तय किया। पचास वक्त की नमाज़ में कमी कराने के लिए कई बार अल्लाह के दरबार में पहुंचे। आपने अज़ीम पैगंबरों से मुलाकात की। अल्लाह से अपनी उम्मत के लिए बख्शिश का वादा लिया। 

मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती की महफिल में मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि अल्लाह ने दुनिया में कमोबेश सवा लाख पैग़ंबरों को भेजा, लेकिन शब-ए-मेराज में सिर्फ आख़िरी पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ही अर्श-ए-आज़म से आगे ला मकां में अल्लाह से मुलाकात हुई। पैग़ंबरे इस्लाम ने कई बार अल्लाह के दरबार में हाजिरी दी, कलाम किया और अल्लाह के दीदार से सरफ़राज हुए। तोहफे में पचास वक्त की नमाज मिली जो बाद में अल्लाह ने पांच वक्त की कर दी। पैग़ंबरे इस्लाम पर मेराज शरीफ की मुबारक रात में अहकाम-ए-खास नाज़िल हुए। अल्लाह ने पैग़ंबरे इस्लाम को अज़ीम इज्जतो वकार से नव़ाजा। सात आसमानों की सैर कराई गई। जन्नत व दोजख दिखाई गई। तमाम अज़ीम पैगंबरों व फरिश्तों से पैग़ंबरे इस्लाम की मुलाकात हुई।

मकतब इस्लामियात चिंगी शहीद इमामबाड़ा तुर्कमानपुर की महफिल में हाफिज सैफ रज़ा व हाफिज अशरफ रज़ा ने कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम मक्का शरीफ से बुराक़ पर सवार होकर मेराज के लिए तशरीफ ले गए। फरिश्तों के सरदार हज़रत जिब्राइल भी आपके साथ थे। अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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