सीमा विवाद, धार्मिक सहिष्णुता और मैत्रीपूर्ण संबंधों पर हुआ गहन विमर्श।
- नूर आलम
वीरगंज (पर्सा)नेपाल।
नेपाल भारत मिल्लत परिषद् केंद्र के आयोजन में वीरगंज स्थित एक होटल में "इंडो–नेपाल बौद्धिक सम्मेलन" भव्य और गरिमामय रूप से सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम में नेपाल सरकार के कानून, न्याय तथा संसदीय मामलों के माननीय मंत्री अजय कुमार चौरसिया मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि परिषद् के अध्यक्ष श्री समिम मियाँ ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
सम्मेलन के दौरान नेपाल–भारत सीमा पर आवागमन में आ रही समस्याएँ, व्यापारिक सीमा निर्धारण, धार्मिक सहिष्णुता और द्विपक्षीय मैत्री संबंधों पर गंभीर चर्चा हुई।
मंत्री चौरसिया ने सीमा क्षेत्र में रह रहे आम नागरिकों की समस्याओं को प्राथमिकता से लेने की आवश्यकता पर बल देते हुए, कहा कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने हेतु ऐसे विमर्श अत्यंत आवश्यक हैं।
जनमत पार्टी के नेता श्री अब्दुल खान ने वर्ष 1950 में हुए नेपाल–भारत मैत्री संधि का उल्लेख करते हुए कहा कि यह संधि सीमा प्रबंधन, पारिवारिक संबंधों और आवाजाही से जुड़े मुद्दों के समाधान में मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान करती है।
उन्होंने वर्तमान में लागू 25,000 रुपये की व्यापारिक सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये तक करने का सुझाव दिया, जिससे व्यापार, पर्यटन और आमजन स्तर पर आपसी संबंधों को और सुगम बनाया जा सके।
उन्होंने कहा,नेपाल सरकार ने भारत से 100 रुपये तक के सामान पर आयात छूट दी है, जो व्यावहारिक नहीं है। इतने में तो एक किलो जलेबी भी नहीं आती। ऐसी नीतियों का पुनः मूल्यांकन आवश्यक है।”
कार्यक्रम में यह भी चिंता प्रकट की गई कि हाल के दिनों में मधेश के सीमावर्ती क्षेत्रों — जैसे वीरगंज, जनकपुर, सर्लाही, बारा, पर्सा, रौतहट और भैरहवा — में हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच सामाजिक दूरी बढ़ रही है।
धार्मिक सौहार्द्र को बिगाड़ने वाले तत्वों पर कानूनी कार्यवाही की आवश्यकता पर बल दिया गया, साथ ही राजनीतिक दलों और समुदायों के बीच सहयोग और संवाद को भी आवश्यक बताया गया।
श्री खान ने नेपाल को विविध जाति, धर्म, भाषा और संस्कृति का "साझा पुष्प–उद्यान" बताते हुए कहा इस उद्यान के भीतर आपसी सद्भाव, एकता और सहिष्णुता को मजबूत बनाना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।
कार्यक्रम में मुस्लिम धर्मगुरु, महिला प्रतिनिधि, पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधि, समाजसेवी, पत्रकार और सुरक्षा निकायों के अधिकारीगण की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।
परिषद् का मानना है कि इस प्रकार के कार्यक्रम नेपाल–भारत संबंधों को सुदृढ़ बनाने, आपसी समझ को बढ़ावा देने तथा सीमा विवादों के समाधान में सकारात्मक भूमिका निभाएंगे।
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