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दिन के उजाले में भी नगर निगम में जलता है स्ट्रीट और हाईमास्ट लाइट,रात के अंधेरे में नहीं?

शहाबुद्दीन अहमद

बेतिया, बिहार

बेतिया नगर निगम क्षेत्र में दिन और रात में कोई अंतर नहीं है, क्योंकि दिन के उजाले में भी स्ट्रीट लाइट और हाईमास्ट लाइट जलता रहता है,इसको देखने सुनने वाला सबअंधे हैं, चाहे नगर निगम के कर्मी, पदाधिकारी हो या महापौर या संबंधित वार्ड के नगर पार्षद हो या जमादार। बेतिया नगर निगम क्षेत्र में लगे सड़क के किनारे स्ट्रीट लाइट या हाई मास्ट लाइट रात में कम दिन में ज्यादा जलते हैं,जिससे राजस्व की हानि हो रही है। गत दिनों नगर निगम के स्थाई सशक्त समिति के द्वारा नगर निगम क्षेत्र में लाइट लगाने का जो प्रस्ताव पारित किया गया है,इसमें यह भी प्रस्ताव पारित होना चाहिए की नगर निगम क्षेत्र में लाइट लगने के बाद अगर खराब होती है तो उस पर एक दो मिस्त्री की नियुक्ति भी होनी चाहिए,जो प्रतिदिन घूम कर खराब हुई लाइट को बना सके।बेतिया नगर निगम को जो राशि नगर एवंआवास विभाग द्वाराआवंटित होती है, उसका गलत उपयोग किया जा रहा है,या बेतिया नगर निगम के निवासियों के द्वारा जो म्युनिसिपल टैक्स के रूप में जमा किया जा रहा है, याअन्य स्रोतों से जो राशि उपलब्ध हो रही है,उसका नाजायज इस्तेमाल हो रहा है।विगत वर्षों में नगर निगम क्षेत्र में जितने भी मोहल्ला या शहर के स्थान को दर्शाने के लिए बोर्ड लगाए गए थे,उसमें से 95 % गायब हो चुके है, इसकेअलावा नगर निगम क्षेत्र में जितनी भी कूड़ेदान के मद में स्टील के बॉक्स जगह जगह जगह पर लगाए गए थे,उनका भी कोई अता-पता नहीं है। जिसमें करोड़ करोड़ रुपए का घपला किया गया है,जोआज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है,इस मामला को उच्च न्यायालय तक जाने के बाद भी उस पदाधिकारी के द्वारा जो करोड़ों रुपए का घपला किया गया,उस पर कोई करवाई आज तक नहीं हो सकी।इसी प्रकार नगर निगम में कई घपला उजागर हुए,मगर उसपर भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।बेतिया नगर निगम में घपलों का बाजार चरम सीमा पर है। नगर निगम क्षेत्र में लगने वाले सड़क के किनारे स्ट्रीट लाइट और हाईमास्ट लाइट का कोई स्टैंडर्ड नहीं है,इसकी गुणवत्ता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है, कमीशनखोरी का बाजार गर्म है,कमीशन पर खरीदा गया सामान कैसा होगा,इसकी कोई गारंटी नहीं है,तभी तो इस स्ट्रीट लाइट और हाई मास्टर लाइट इतना जल्द खराब हो जा रहे हैं,बनाने वाला भी कोई नहीं है,ध्यान देने वाला कोई नहीं है,इस तरह का स्ट्रीट लाइट या हाई मास्ट लाइट लगाने का क्या फायदा?जिससे रात केअंधेरे में प्रकाश ही नहीं मिले।

सफाई,कूड़ा कचरा उठाओ का भी वही रवैया है,बरसात के पहले नगर निगम क्षेत्र के जितने बड़े-बड़े नाले हैं,उनकी सफाई विधिवत फरवरी,मार्च से शुरू होनी चाहिए,अंत में केवल दिखावे के लिए होता है और करोड़ों रुपए का बिल बन जाता है,केवल लूट का बाजार गर्म है। इस तरह से इस बेतिया नगर निगम का कई ऐसे मामले प्रकाश मेंआ रहे हैं,जोआम नागरिक सुनकर बेहोश हो जाएंगे।

बेतिया नगर निगम के किन-किन बिंदुओं पर आम नागरिकों का ध्यानआकर्षित कराया जाए,यह समझ से परे की बात है।

Karunakar Ram Tripathi
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