बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के बीजों पर महत्व न देकर देशी बीजों पर किसानों को प्रोत्साहित कर उत्पादन लागत पर नियंत्रण होगा!
हफ़ीज अहमद खान
कानपुर नगर,उत्तर प्रदेश।
अग्रेजों के खिलाफ किसानों के हितों की रक्षा के लिये, गांव गांव घूमकर आन्दोलन करने में अहम भूमिका निभाने वाले दण्डी स्वामी सहजानन्द सरस्वती का जन्म 22 फरवरी सन् 1889 में गाजीपुर ग्राम देवा में हुआ था। उनके एक सौ चौतीसवें जन्म दिवस पर आज किसान कामगार सम्मेलन के अध्यक्ष के० के० शुक्ल की अध्यक्षता में एक गोष्ठी सिविल लाइन में एक बजे आरम्भ हुई। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए के0 के0 शुक्ल ने कहा कि सन् 1909 में काशी में दशाश्वमेध घाट पर सन्त दण्डी स्वामी अच्युतानन्द सरस्वती से गुरू दीक्षा लेकर दण्ड ग्रहण किया। इसके बाद महात्मा गांधी से मुलाकत कर असहयोग आन्दोलन चलाया तथा अंग्रेजों के खिलाफ गांव-गांव घुमकर किसानों एक जुट किया। स्वामी ने भूमि सुधार, सामाजिक परिवर्तन तथा किसानों के कर्ज को माफ कराने में संघर्ष किया तथा सन् 1934 में पटना में एक विराट सम्मेलन कराया जिसमें जयप्रकाश नारायण, डा० राममनोहर लोहिया, आर्चाय नरेन्द्र देव, पी० सुन्दरइया ने भाग लेकर स्वामी जी के संघर्ष को महत्व दिया। इसके बाद सन् 1936 में किसान सभा की स्थापना की।गोष्ठी में सर्व विनय पाण्डेय, उदयवीर पर (एडवोकेट) नीमरण, तुलसीराम निषाद, दिनेश, अक्षय अली (एडवोकेट), सुशीलाल, राजाराज विश्व प्रभाञ्जकार आदि प्रमुख थे।
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