रिपोर्ट : अब्दुल नईम कुरैशी
लखनऊ/उत्तर प्रदेश।
भारत में आधार कार्ड को बायोमेट्रिक तकनीक और केंद्रीकृत डिजिटल डाटाबेस के आधार पर तैयार किया गया है। यह दस्तावेज़ व्यक्ति की यूनिक आइडेंटिटी (Unique Identity) प्रदान करता है, जिसमें फिंगरप्रिंट और रेटिना स्कैन जैसे अचूक बायोमेट्रिक डेटा शामिल हैं। इस कारण इसकी डुप्लीकेसी या फर्जीवाड़ा लगभग असंभव है।
*आधार कार्ड और PAN कार्ड का एकीकरण*
आधार को PAN कार्ड, बैंक खातों, मोबाइल नंबर, और अन्य सेवाओं से जोड़ने से सरकार और एजेंसियां किसी व्यक्ति के —
बैंक खातों की संख्या और बैलेंस,
संपत्ति का विवरण,
मोबाइल कनेक्शन,
वोटर ID का क्षेत्र,
आदि की सटीक जानकारी प्राप्त कर सकती हैं। इससे न केवल भ्रष्टाचार और कालाधन पर रोक लगेगी, बल्कि पारदर्शिता भी बढ़ेगी।
*आपदा स्थितियों में आधार का महत्व*
अगर कोई व्यक्ति प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, भूकंप, आग आदि में अपने सभी दस्तावेज़ खो देता है, तो भी वह सिर्फ अपनी बायोमेट्रिक पहचान (फिंगरप्रिंट/रेटिना स्कैन) देकर नया आधार कार्ड प्राप्त कर सकता है।
इस आधार के जरिए उसका बैंक खाता, बीमा, पेंशन, राशन कार्ड, संपत्ति का रिकॉर्ड — सब पुनः जोड़ा जा सकता है। यह सुविधा अन्य पहचान पत्रों में उपलब्ध नहीं है।
*वर्तमान समस्या*
कई सरकारी और निजी संस्थान अब भी आधार को स्थायी पहचान एवं निवास प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं करते। नतीजतन, नागरिकों को कई बार अलग-अलग दस्तावेज़ जमा करने पड़ते हैं, जो प्रक्रिया को जटिल और समय लेने वाली बनाता है।
*सुझाव*
कानूनी मान्यता: संसद या सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से यह स्पष्ट किया जाए कि आधार को कानूनी रूप से पहचान और निवास प्रमाण के तौर पर मान्यता दी जाएगी।
एकीकृत पोर्टल: सभी सरकारी सेवाओं, बैंकिंग, और मतदान प्रक्रिया में आधार का एकीकृत उपयोग हो।
डेटा सुरक्षा और गोपनीयता: आधार डेटा की सुरक्षा के लिए कठोर साइबर सुरक्षा मानक और दंडात्मक प्रावधान हों, ताकि नागरिकों का विश्वास बना रहे।
*निष्कर्ष*
आधार कार्ड, अपनी बायोमेट्रिक सटीकता और केंद्रीकृत डेटा संग्रह के कारण, भारत में पहचान और निवास प्रमाण का सबसे सुरक्षित और सुलभ माध्यम है। अगर इसे पूर्ण रूप से कानूनी मान्यता दी जाए, तो नागरिकों के लिए प्रक्रियाएं आसान होंगी और शासन व्यवस्था में पारदर्शिता व दक्षता बढ़ेगी।
© Copyright All rights reserved by India Khabar 2025