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मानवता मुफ्ती-ए-आज़म की रूहानियत का एक अहम उद्देश था - मौलाना मुख़्तार बहेडवी


मुल्क के बंटवारे से पीडित हिंदुस्तानी मुसलमानों के बिखरे वजूद को समेटने में अहम किरदार अदा किया मुफ्ती-ए-आज़म हिंद ने - मुफ्ती सलीम नूरी

भारत समाचार एजेंसी

बरेली, उत्तर प्रदेश।

दरगाह आला हज़रत पर आला हज़रत के छोटे साहिबजादे मुफ्ती आज़म हिंद हज़रत अल्लामा मुस्तफा रज़ा खा क़ादरी नूरी रहमतुल्लाह का 45 वा एक रोज़ा उर्स- ए-नूरी बड़े ही अदब-ओ-एहतिराम के साथ दरगाह परिसर में मनाया गया। बाद नमाज़-ए-फज्र कुरानख्वानी दिन में नात-ओ-मनकबत का दौर चला। देर रात एक बजकर चालीस मिनट पर मुफ्ती-ए-आज़म के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। सभी प्रोग्राम दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती,सज्जादानशीन बदरूशरिया मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) की सदारत व सय्यद आसिफ मियां की देखरेख में सम्पन्न हुए। उर्स में शिरकत के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में अकीदतमंद दरगाह पर हाज़िरी देने पहुंचे। गुलपोशी और फातिहाख्वानी के बाद मुल्क में अमन खुशहाली के लिए खुसूसी दुआ की। 

   दरगाह के जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि बाद नमाज़ मगरिब हाजी गुलाम सुब्हानी और आसिम नूरी ने मिलाद का नज़राना पेश किया। संचालन(निजामत) कारी यूसुफ रज़ा संभली ने किया। महफ़िल का आग़ाज़ रात 9:30 बजे मुफ्ती जईम मंजरी ने तिलावत-ए-कुरान से किया। इसके बाद मुल्क भर से आए उलेमा व शोअरा ने कलाम पेश किए। शायर महशर बरेलवी और फारूक मदनापुरी ने नात-ओ-मनकबत का नज़राना पेश किया। मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने सबसे पहले कर्बला के शहीदों को खिराज पेश किया। इसके बाद मुफ्ती आज़म हिंद की रूहानी जिदंगी पर रोशनी डालते हुए कहा कि 1947 में मुल्क के बंटवारे के बाद हिन्दुस्तानी मुसलमान पूरी तरह से टूट और बिखर गया था। उनके वज़ूद को बचाने के साथ उनके अंदर विश्वास पैदा करने में आपने अहम किरदार अदा किया। उस वक्त नए बने देश में जाने से बड़ी संख्या में मुसलमानों ने मना कर दिया खुद मुफ्ती-ए-आज़म ने मुल्क ए हिंदुस्तान में रहने का फैसला किया। ऐसे हालात में आपने अपनी रूहानी तालीम,फतवों के साथ देश भर के दौरे कर उन्हें देश की मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया। उनमें नई उमंग और ऊर्जा पैदा की। मुफ्ती आकिल रज़वी ने कहा कि आप बड़े ही मुत्तकी(परहेजगार) थे। आपने अपने वालिद आला हज़रत के मिशन पर काम करते हुए मज़हब और सुन्नियत के साथ दीन में जो बहुत सी बुराईया पैदा हो गई थी उनको दूर करने का काम किया। मौलाना मुख्तार बहेडवी ने अपने खिताब में कहा कि आपने देश भर की सभी सुन्नी खानकाहों को एक माला में पिरोने का काम किया। मानवता आपकी रूहानियत का अहम मकसद था। मुफ्ती अय्यूब नूरी ने कहा कि सुन्नी मुसलमानों के किसी भी इखतिलाफ में आपका जो भी फैसला होता सभी उस पर अमल करते। कारी सखावत मुरादाबादी,मौलाना डॉक्टर एजाज़ अंजुम,कारी अब्दुर्रहमान,मुफ्ती कफील हाशमी आदि ने भी ख़िराज़ पेश किया। *देर रात 1 बजकर 40 मिनट पर कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। सज्जादानशीन बदरुशरिया मुफ्ती अहसन मियां ने देश दुनिया में अमन-ओ-सुकून और खुशहाली के लिए खुसूसी दुआ की।*

   इस मौके पर मुस्तअहसन रज़ा खान,अहसान रज़ा खान,मौलाना सैफी मियां,मोअज्जम रज़ा खान,सय्यद मुस्तफा मियां,राशिद अली खान,सय्यद अनवारूल सादात, परवेज़ नूरी,अजमल नूरी,शाहिद खान नूरी,नासिर कुरैशी,औररंगज़ेब नूरी,ताहिर अल्वी,हाजी जावेद खान,शान रज़ा,मंजूर रज़ा,मुजाहिद रज़ा,अब्दुल माजिद,आलेनबी,इशरत नूरी,सबलू अल्वी,आरिफ रज़ा,साकिब रज़ा,रोमान खान,सुहैल रज़ा,अरबाज रज़ा,हाजी शकील,गौहर खान,मोहसिन रज़ा,अजमल रज़ा, समी खान,हाजी अब्बास नूरी,नफीस खान,हाजी शारिक नूरी,तारिक सईद,इरशाद रज़ा,युनुस गद्दी,साजिद नूरी,मुस्तकीम नूरी,काशिफ सुब्हानी,सय्यद माजिद,सय्यद एजाज़,शाद रज़ा,जुनैद मिर्जा,हाजी फय्याज नूरी,काशिफ रज़ा,नाजिम रज़ा,अश्मीर रज़ा,ज़ोहेब रज़ा,जीशान कुरैशी,हसीन खान,आकिब रज़ा,आदिल रज़ा,ग़ज़ाली रज़ा आदि ने संभाली। 

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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