इमाम हुसैन की शिक्षाओं के जरिए लोगों को किया जाएगा जागरुक।
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
इस्लामी माह मुहर्रम को पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के प्यारे नवासे हजरत सैयदना इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु व उनके साथियों की अजीम कुर्बानी के लिए याद किया जाता है। इस बार मुहर्रम 27 या 28 जून से शुरू हो रहा है।
मकतब इस्लामियात व अल कलम एसोसिएशन की ओर से पहली से दसवीं मुहर्रम तक तुर्कमानपुर, जाफरा बाजार, रहमतनगर, नौरंगाबाद, जमुनहिया बाग आदि जगहों पर हजरत इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की शिक्षाओं पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी 'हमारे हैं हुसैन' लगाई जाएगी। प्रदर्शनी में मदरसा रजा-ए-मुस्तफा तुर्कमानपुर में पढ़ने वाली छात्रा शिफा खातून द्वारा हाथ से तैयार पोस्टर लगाए जायेंगे।
उक्त जानकारी देते हुए हाफिज रहमत अली निजामी ने बताया कि पोस्टर प्रदर्शनी के जरिए इमाम हुसैन की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला जाएगा। युवाओं को बुराई से बचने और इमाम हुसैन व कर्बला के शहीदों के नक्शे कदम पर चलने के लिए प्रेरित व जागरुक किया जाएगा। प्रदर्शनी में कारी मुहम्मद अनस रजवी द्वारा आसान अंदाज में हजरत इमाम हुसैन व कर्बला के शहीदों की जिंदगी पर रोशनी डाली जाएगी। कर्बला की अजीम कुर्बानी के बारे में संक्षेप में बताया जाएगा। इमाम हुसैन की जिंदगी पर आधारित पर्चा भी बांटा जाएगा।
मुहर्रम में युवा करेंगे पौधारोपण, बांटेंगे लंगर, शरबत, फल, लस्सी।
पहली से दसवीं मुहर्रम तक शहर के युवा रोजा रखकर लोगों की मदद कर नेकी का पैगाम आम करेंगे। साथ ही पौधारोपण, लंगर, फल, शरबत , लस्सी, खिचड़ा आदि बांटेंगे। वहीं सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों के जरिए लोगों को नेक काम करने के लिए प्रेरित करेंगे।
गौसे आजम फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष समीर अली ने बताया कि मुहर्रम की पहली तारीख को मुसलमानों के दूसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन हजरत सैयदना उमर रदियल्लाहु अन्हु का शहादत दिवस अकीदत के साथ मनाया जाएगा। मुहर्रम के दस दिन हजरत सैयदना इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु व कर्बला के शहीदों की याद में पौधारोपण, फल-लंगर वितरण, लस्सी-शरबत वितरण किया जाएगा। नौ व दस मुहर्रम को सामूहिक रोजा इफ्तार का आयोजन किया जाएगा।
अली बहादुर शाह यूथ कमेटी के अली गजनफर शाह ने बताया कि सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर के पास चौथी से दसवीं मुहर्रम तक अकीदतमंदों को लंगर-ए-हुसैनी खिलाया जाएगा। कमेटी के युवा मुहर्रम के दस दिनों तक रोजा रखेंगे। मुहर्रम की पहली तारीख को मुसलमानों के दूसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन हजरत सैयदना उमर रदियल्लाहु अन्हु का उर्स-ए-पाक कुरआन ख्वानी व फातिहा ख्वानी के जरिए अदब व एहतराम के साथ मनाया जाएगा।
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