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गाजिया खानम ने महिलाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक किया।

मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में महिलाओं की महफिल।

सैय्यद फरहान अहमद

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में महिलाओं की 'बज्मे कनीजाने आयशा' नाम से महफिल हुई। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत शिफा खातून ने किया। हम्द तैबा नूर व नात कुलसुम फातिमा सानिया खातून ने पेश की। अध्यक्षता किताबुन्निशा ने की।

मुख्य वक्ता मुफ्तिया गाजिया खानम अमजदी ने मुसलमानों के विकास और कल्याण के लिए शिक्षा को जरूरी क़रार देते हुए कहा कि मुसलमानों के ज़िंदगी के सभी क्षेत्रों में पिछड़ने की एकमात्र वजह शिक्षा से दूरी है। मुसलमानों को जहां दीनी शिक्षा पर ध्यान देने की ज़रूरत है वहीं आधुनिक शिक्षा को भी अपनाने की ज़रूरत है। क़ुरआन की पहली आयत ‘इकरा’ है। इसका मतलब यह हुआ कि इस्लाम धर्म में शिक्षा की बहुत अहमियत है। इल्मे दीन हासिल करना हर मुसलमान मर्द और औरत पर फ़र्ज है। हम अपने बच्चों की दुनियावी शिक्षा पर तो लाखों रूपये पानी की तरह बहा देते हैं लेकिन इस्लामी शिक्षा के लिए न हमारे पास पैसा है और न ही समय। हम यह क्यों भूल जाते हैं कि यह दुनिया तो बस कुछ दिन का ठिकाना है उसके बाद हमें अल्लाह के सामने पेश होना है। वहां हर चीज़ का हिसाब लिया जाएगा।

अफीना खातून, अदीबा फातिमा व शिफा खातून ने कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बताए हुए रास्ते पर चलकर ही दुनिया की सब परेशानियों का हल निकाला जा सकता है और उससे अमन-चैन को हासिल किया जा सकता है। जिसकी आज दुनिया को बहुत ज़रूरत है। पैग़ंबरे इस्लाम का फ़रमान है कि अल्लाह उस पर रहम नहीं करता जो इंसानों पर रहम न करे।अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो शांति की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। महफिल में ज्या वारसी, जिक्रा शेख़, फातिमा, मकतब की छात्राएं सना खान, साजिया खातून, अंजुम आरा, मुस्कान, तमन्ना, मरियम सहित तमाम महिलाएं शामिल हुईं।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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