सीरतुन्नबी कॉम्पिटिशन की विजेता बनीं डॉ. शाजी मलिक, जीता फ्री उमराह पैकेज व ट्राफी।
सीरतुन्नबी सेमिनार व पुरस्कार वितरण समारोह।
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
मकतब इस्लामियात, अल कलम एसोसिएशन, जामिया अल इस्लाह एकेडमी व ट्रैवेल प्वाइंट की ओर से आइडियल मैरेज हाउस, गाजी रौजा में सीरतुन्नबी सेमिनार व सीरतुन्नबी कॉम्पिटिशन का पुरस्कार वितरण समारोह हुआ। मुख्य अतिथि जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. सैयद फजलुल्लाह चिश्ती ने कामयाब उम्मीदवारों को ट्राफी, शील्ड, मेडल, उमराह डिस्काउंट वाउचर व अन्य पुरस्कार सौंपा। सीरतुन्नबी कॉम्पिटिशन की विजेता बन डॉ. शाजी मलिक ने फ्री उमराह पैकेज का पुरस्कार जीता।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ. सैयद फजलुल्लाह चिश्ती ने कहा कि ईद मिलादुन्नबी महज पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश का दिन ही नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत की आजादी का दिन है। पैगंबर-ए-इस्लाम ने दुनिया से भेदभाव को मिटाया। इस्लाम धर्म व पैगंबर-ए-इस्लाम ने तौहीद, अमन व सलामती का पैगाम दिया। मुसलमान वही है, जिससे उसका पड़ोसी सुरक्षित रहे। फरमाया गया है कि 'तुमने अगर एक पुरूष को पढ़ाया तो सिर्फ एक इंसान को पढ़ाया, लेकिन एक महिला को पढ़ाया तो एक खानदान, एक नस्ल को पढ़ाया।' हमें पैगंबर-ए-इस्लाम के बताए रास्ते पर चलना है। इस्लाम धर्म ने महिलाओं को शैक्षिक व सामाजिक सभी अधिकार दिए हैं। बच्चे का पहला स्कूल मां की गोद होती है इसलिए मां को पढ़ा-लिखा होना बेहद जरुरी है। मुस्लिम बच्चियों की जिंदगी को खुशहाल बनाने के लिए अच्छी तालीम व दीनदारी जरुरी है। आधी रोटी खाइए, बच्चों को जरूर पढ़ाइए। दुनिया व आखिरत संवारने के लिए शरीयत का दामन थामना जरूरी है।
संचालन करते हुए कारी मुहम्मद अनस रजवी ने कहा कि इस्लाम धर्म महिलाओं को सम्मान के नजरिए से देखता है। परिवार में पुरुषों की तरह महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त है। हम इस्लाम धर्म का अध्ययन करें तो पता चलता है कि इस्लाम धर्म ने महिलाओं को पंद्रह सौ साल पहले वह स्थान दिया है जो आज के कानून बनाने वाले भी उसे नहीं दे पाए। इस्लाम धर्म ने महिलाओं को उसका पूरा जायज अधिकार और न्याय दिया व उसके नारित्व की सुरक्षा की। शरीयत पर अमल करके मुस्लिम महिलाएं आगे बढ़ रही हैं। इस्लाम धर्म ने महिलाओं का दर्जा ऊंचा किया और मां के पैरों के नीचे जन्नत करार दिया।
समारोह में मुफ्ती अख्तर हुसैन, शादाब अहमद, हाफिज रहमत अली निजामी, नेहाल अहमद, आसिफ महमूद, मौलाना महमूद रजा, मुख्तार अहमद, मौलाना जहांगीर अहमद, मुफ्ती मुहम्मद अजहर शम्सी, हाजी फैज अहमद, शहबाज सिद्दीकी, बेलाल अहमद, कारी शराफत हुसैन, हाफिज आफताब आलम, मुनाजिर हसन, ताबिश सिद्दीकी, शीराज सिद्दीकी, प्रिंस, जीशान, मुहम्मद आजम, नवेद आलम, शादाब सिद्दीकी, सैयद नदीम अहमद, शीरीन आसिफ, ज्या वारसी, आयशा खातून, अली अहमद, समीर अली, जैद, जाबिर, तानिया, अदीबा, आरजू, गुल अफ्शा, फरहीन, मंतशा, सना, आफरीन, नाजिया, फरहत, सैयद मतीन अहमद, सैयद शम्स आलम, सैयद शहाबुद्दीन, नूर मुहम्मद दानिश, अब्दुल अहद, यासमीन, हाजी सेराज अहमद, सैयद शाहिद शम्सी, सैयद जफर हसन, फैजान, कारी नसीमुल्लाह, हाफिज नजरे आलम, अली अहमद नाजिम, जुनैद, आलिमा शहाना खातून, खुर्शीद अहमद मून, काशिफ अली आदि शामिल रहे।
सीरतुन्नबी कॉम्पिटिशन के कामयाब उम्मीदवार जिन्हें मिला पुरस्कार
हिफ्ज ग्रुप : मुहम्मद फैज, मुहम्मद शाबान अंसारी, अनम अरीबा, अब्दुस्सुब्हान, मुहम्मद एबाद, मुहम्मद तंजील, समन फातिमा, अब्दुल कादिर, मुहम्मद हसन, मुहम्मद हम्जा खान।
आलमियत ग्रुप : मुहम्मद आतिफ रजा, तरन्नुम खातून, मुहम्मद राजिक, शिफा खातून, मेराज अंसारी, सालेहा खातून, आयशा खातून, खदीजा सलाम, ऐनुन जारिया, सानिया फातिमा।
स्कूल ग्रुप : अतिया अफजल, फिरदौस फातिमा, मुहम्मद जैद, शबनम बानो, खदीजा खातून, हाफिज मुहम्मद अरशान, तकरीमा सुब्बुह, साहिबा शमीम, तस्मिया सैफ, फलक नौशाद।
कॉलेज ग्रुप : खुशनुमा अख्लाक, जैनब फातिमा, अनअमता शुएब, वारिसा बसारी, मुहम्मद अरमान, नूर बानो, आयशा खान, नाजमीन, मुहम्मद माज, अलीशा शकील।
फ्री ग्रुप : डॉ. शाजी मलिक, रजिया कौसर, शिफा, सबा परवीन, शिफा हुसैन, रिजवाना अंसारी, नगमा खातून, शादमा खातून, आइशा, दरख्शा परवीन।
सांत्वना पुरस्कार : शगुफ्ता परवीन, आबिदा, अफसाना खातून, मसर्रत जहां, सबीहा खातून, नाजिया अख्तर, नूरजहां, शबाना बेगम, जुबैदा खातून, शमीमा बानो, नूरुस्सबा, सालेहा खातून, आयशा फिरदौस, अलाउद्दीन, शाहीन बानो, जावेद अली, मुहम्मद शरीफ इदरीस, अरशद अहमद, नादिया नसीम, मुहम्मद खालिद, नईमा खातून, नदीमा खातून।
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