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उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी का ऐतिहासिक और सराहनीय कदम – दारुल उलूम नदवतुल उलेमा के पास किताबत सेंटर की स्थापना।

*छात्र-छात्राओं के लिए खूबसूरत मौका, मिलेगा वजीफ़ा* – *दाख़िले 1 सितम्बर से*

✍️अब्दुल नईम कुरैशी 

लखनऊ, उत्तर प्रदेश।

उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी ने उर्दू भाषा और कला-ए-ख़ताती (कैलीग्राफी) के विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। अकादमी ने दारुल उलूम नदवतुल उलेमा और मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी (मानव) के पास नया किताबत सेंटर खोला है। यह सेंटर शबाब बिल्डिंग के पीछे, नदवी अबाया सेंटर के सामने स्थित है। इस सेंटर के खुलने से बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं किताबत (कैलीग्राफी) की तालीम हासिल कर सकेंगे।

अकादमी के सचिव शौकत अली ने प्रेस बयान में बताया कि अकादमी की ओर से पहले से ही गोमतीनगर कैम्पस में किताबत स्कूल चलाया जा रहा है, लेकिन उर्दू-निगार तबक़े के मशवरे पर अब पुराने घनी आबादी वाले इलाके में भी यह सेंटर शुरू किया गया है ताकि अधिक से अधिक छात्र-छात्राएं इस स्कीम से लाभ उठा सकें।

? *दो साल का ट्रेनिंग कोर्स और रोजगार में मददगार*

अकादमी की इस योजना के तहत दो वर्षीय किताबत कोर्स कराया जाता है। कोर्स पूरा करने के बाद छात्रों को प्रमाणपत्र (सर्टिफिकेट) दिया जाता है, जो आगे चलकर रोजगार के अवसरों में सहायक होता है।

? *वजीफ़ा की सुविधा भी*

सचिव शौकत अली ने बताया कि किताबत सीखने वाले छात्र-छात्राओं को वजीफ़ा (स्कॉलरशिप) भी दिया जाता है। उन्होंने कहा कि किताबत एक बेहतरीन पेशा है जो एक उच्च कला से जुड़ा हुआ है। इसमें उर्दू हुरूफ़ (अक्षरों) की बनावट, कलम की नाप के मुताबिक उनकी असली शक्ल, तुग़रा-नवीसी, उर्दू डिज़ाइनिंग आदि की बारीकियां प्रैक्टिकल तौर पर सिखाई जाती हैं।

? *तुग़रों की अहमियत*

उन्होंने कहा कि उर्दू किताबत में तुग़रे (कलात्मक लिखावट की शैली) को खास अहमियत हासिल है। ये तुग़रे प्राचीन ऐतिहासिक इमारतों पर भी देखने को मिलते हैं, जो अपने आप में एक शाहकार होते हैं और इनमें एक अनोखी खिंचाव (आकर्षण) होता है। यही खिंचाव छात्र-छात्राओं को इस कला को सीखने के लिए प्रेरित करता है।

? *अकादमी की अपील*

अंत में अकादमी ने सभी मदरसों, यूनिवर्सिटीज़, कॉलेजों के छात्र-छात्राओं और पूरे उर्दूदां तबक़े से अपील की है कि इस सुनहरे अवसर का भरपूर फ़ायदा उठाएँ और उर्दू किताबत की इस पुरानी और शानदार परंपरा को आगे बढ़ाएँ।

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? *दाख़िले 1 सितम्बर से शुरू होंगे।*

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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