सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम में कुर्बानी को एक अहम मकाम हासिल है। अजमते इस्लाम व मुसलमान कुर्बानी में है। ईद-उल-अजहा पर्व माहे जिलहिज्जा का चांद देखे जाने पर 17 या 18 जून को मनाया जाएगा। मुसलमानों द्वारा लगातार तीन दिन तक कुर्बानी की जाएगी। अल्लाह का क़ुरआन-ए-पाक में इरशाद है कि ‘ऐ महबूब अपने रब के लिए नमाज़ पढ़ो और कुर्बानी करो’। ईद-उल-अजहा पर्व एक अज़ीम पिता पैगंबर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व अज़ीम पुत्र पैगंबर हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की कुर्बानी के लिए याद किया जाता है। पैगंबर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व पैगंबर हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम से मंसूब एक वाकया इस पर्व की बुनियाद है। कुर्बानी का जानवर जिब्ह करने के वक्त बंदों की नियत होती है कि अल्लाह राजी हो जाए, यह भी नियत रहती है कि मैंने अपने अंदर की सारी बदअख्लाकी और बुराई सबको मैंने इसी कुर्बानी के साथ जिब्ह कर दिया और इसी वजह से दीन-ए-इस्लाम में ज्यादा से ज्यादा कुर्बानी का हुक्म दिया गया है।
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