सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर उत्तर प्रदेश।
27वां रोज़ा खैर व बरकत से बीता। मस्जिद व घरों में इबादत का दौर जारी है। तरावीह की नमाज़ पढ़ी जा रही है। एतिकाफ में खूब इबादत हो रही है। कुरआन-ए-पाक की तिलावत जारी है। ईद की खरीदारी जमकर हो रही है।
मस्जिद जामे नूर ज़फ़र कॉलोनी बहरामपुर के इमाम मौलाना सद्दाम हुसैन निजामी ने कहा कि हदीस पाक में है कि जो शख़्स रमज़ानुल मुबारक के आने की खुशी और जाने का ग़म करे उसके लिए जन्नत है। रमज़ान एक बेहतरीन माह है जिसमें अल्लाह की रहमते बढ़ जाती हैं। दुआएं कुबूल होती हैं। हमें शरीअत के मुताबिक ज़िंदगी गुजारनी चाहिए। रमज़ान ने हमें कामयाबी का रास्ता दिखा दिया है अब हमारी जिम्मेदारी है कि उस पर मजबूती के साथ चलकर दुनिया व आखिरत संवारें। नमाज की पाबंदी करें व नेक बनें। शबे कद्र की आखिरी ताक रात सोमवार 8 अप्रैल को है उसमें खूब इबादत करें। जकात व फित्रा जल्द जरूरतमंदों तक पहुंचा दें। जहन्नम से आजादी का अशरा चल रहा है लिहाजा रो-रो कर खूब दुआ मांगें। कुरआन-ए-पाक की तिलावत करें।
मकतब इस्लामियात के शिक्षक हाफिज अशरफ रज़ा इस्माईली ने कहा कि हमें माह-ए-रमज़ान की कद्र करनी चाहिए। दिन में रोज़ा रखें, पांचों वक्त की नमाज़ पाबंदी से अदा करें, क्योंकि ईमान के बाद सबसे ज़्यादा ताकीद क़ुरआन व हदीस में नमाज़ के बारे में आयी है। कल क़यामत के दिन सबसे पहला सवाल नमाज़ ही के बारे में होगा। नमाज़े तरावीह पढ़ें और अगर मौक़ा मिल जाए तो चंद रकात नमाज़ रात के आखिरी हिस्से में भी अदा कर लें। रमज़ान का हर एक पल जिक्र-ए-इलाही में गुजारें। दरूदो-सलाम ज्यादा पढ़ें।
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