सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्पलाइन नंबरों पर सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा।
1. सवाल : शरीअत की नज़र में मुसाफिर कौन है और मुसाफिर किस वक्त से नमाज़ कस्र शुरू करे? (मनोव्वर अहमद, तुर्कमानपुर)
जवाब : शरीअत में मुसाफिर वह शख़्स है जो तीन रोज की राह पर जाने के इरादा से बस्ती (अपने रहने के स्थान) से बाहर हुआ। खुश्की में तीन दिन की राह की मिकदार तकरीबन 92 किलोमीटर है। जब बस्ती की आबादी से बाहर हो जाए तो उस वक्त से नमाज़ में कस्र शुरू करे। मुसाफिर जब तक किसी जगह पंद्रह (15) दिन या इससे ज्यादा ठहरने की नीयत न करे या अपनी बस्ती में न पहुंच जाए कस्र करता रहे। (मुफ्ती अजहर)
2. सवाल : रोज़े की हालत में कोविड वैक्सीन लगवाना ठीक रहेगा? (सैयद मारूफ अहमद, सूरजकुंड)
जवाब : रोज़े की हालत में कोविड वैक्सीन लगवाना जायज़ है। इससे रोज़े पर कोई असर नहीं पड़ेगा। (मुफ्ती अख़्तर)
3. सवाल : क्या जमात से नमाज़ पढ़ना लाज़िम है? (शुएब अहमद, गोरखनाथ)
जवाब : हां। जमात से नमाज़ पढ़ना वाजिब है, बिला वजह जमात छोड़ने वाला गुनहगार होगा। (मौलाना मोहम्मद अहमद)
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