सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
करीब 13 घंटा 54 मिनट का 22वां रोज़ा अल्लाह की इबादत व क़ुरआन की तिलावत में बीता। मुकद्दस रमज़ान का अंतिम अशरा ‘जहन्नम से आज़ादी’ का जारी है। मस्जिद व घरों में इबादत हो रही है। एतिकाफ करने वाले रोजेदार इबादत में मश्गूल हैं। मंगलवार को शबे कद्र की दूसरी ताक रात में खूब इबादत हुई। अल्लाह के बंदों ने इबादत कर गुनाहों से माफ़ी मांगी। साढ़े छह गली नखास चौक में सामूहिक रोज़ा इफ्तार का आयोजन हुआ। जिसमें अनस, अख्तर आलम, मोहसिन, मो. फैसल, मुअज्जम, तौहीद, हम्ज़ा, जमाल अहमद सहित तमाम लोगों ने शिरकत की। बाज़ार में ईद की खरीदारी जोरों पर है। बाज़ार में खरीदारों की भीड़ उमड़ रही है। खासकर रेती, शाह मारुफ़, उर्दू बाज़ार, घंटाघर, जाफरा बाज़ार में चहल पहल ज्यादा है।
गौसिया मस्जिद छोटे काजीपुर के इमाम मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने कहा कि अल्लाह के आख़िरी पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दुनिया को एक अल्लाह की इबादत का संदेश देकर ज़हालत को दूर करने का पैग़ाम दिया। अल्लाह की इबादत की तीसरी कड़ी रोज़ा बना। दीन-ए-इस्लाम में होश संभालने से लेकर मरते दम तक अल्लाह के कानून और उसके हुक्मों के मुताबिक ज़िंदगी गुजारना इबादत है। रोज़ा अल्लाह के आदेश का पालन करने और अनुशासित जीवन जीने के लिए प्रशिक्षित करता है।
सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह के इमाम मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि रमज़ान में प्रत्येक इंसान हर तरह की बुराइयों व गुनाहों से खुद को बचाता है। रमज़ान की रातों में एक रात शबे कद्र की कहलाती है। यह रात बड़ी खैर व बरकत वाली रात है। क़ुरआन में इसे हजारों महीनों से अफ़ज़ल बताया गया है। यह वह पाक रात है, जिसमें हज़रत जिब्राइल अलैहिस्सलाम फरिश्तों की एक बड़ी जमात लेकर जमीन पर तशरीफ़ लाते हैं। अल्लाह के हुक्म से पूरी दुनिया का चक्कर लगाते हैं। इबादत में रात गुजारने वालों के लिए दुआएं करते हैं और मुबारकबाद पेश करते हैं। पूरी रात चारों तरफ सलामती ही सलामती रहती है। फज्र का वक्त होते-होते यह नूरी काफिला वापस चला जाता है। रमज़ान के आख़िरी अशरा की 21, 23, 25, 27 व 29वीं रातों को शबे कद्र की रात बताया गया है।
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