सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में 21 रमज़ान को अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना अली रदियल्लाहु अन्हु के शहादत दिवस पर सामूहिक रूप से कुरआन ख्वानी व दुआ ख्वानी कर अकीदत का नज़राना पेश किया गया। वहीं मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक व मदरसा रज़ा-ए-मुस्तफा तुर्कमानपुर में महफ़िल हुई।
मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन मन्नानी ने कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दामाद व मुसलमानों के चौथे ख़लीफा हज़रत अली की शहादत 21 रमज़ान को हुई। आप दामादे रसूल हैं। दो जन्नती जवानों के सरदार हज़रत इमाम हसन व हज़रत इमाम हुसैन के वालिद हैं। खातूने जन्नत हज़रत फातिमा ज़हरा के शौहर हैं। हज़रत अली का जिक्र करना भी इबादत में शुमार है। मस्जिद के इमाम मौलाना महमूद रज़ा कादरी ने कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है कि जिसका मैं मौला, अली भी उसके मौला। जिसका मैं आका, अली भी उसके आका। जिसका मैं रहबर, अली भी उसके रहबर। जिसका मैं मददगार, अली भी उसके मददगार। हज़रत अली का बहुत बड़ा मर्तबा है। हमें भी हज़रत अली के नक्शे-कदम पर चलने की पूरी कोशिश करनी चाहिए तभी दुनिया व आख़िरत में फायदा होगा।
मदरसा रजा-ए-मुस्तफा तुर्कमानपुर में मौलाना दानिश रज़ा अशरफी ने कहा कि हज़रत अली इल्म का समंदर हैं। बहादुरी में बेमिसाल हैं। आपकी इबादत, रियाजत, परहेजगारी और पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम व सहाबा किराम से मोहब्बत की मिसाल पेश करना मुश्किल है।
मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक में मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि हज़रत अली फरमाते हैं कि अल्लाह की कसम मैं कुरआन की आयतों के बारे में सबसे ज्यादा जानने वाला हूं। पैग़ंबरे इस्लाम ने फरमाया कि मैं इल्म का शहर हूं और अली उसके दरवाजा हैं। अब जो इल्म से फायदा उठाना चाहता है वह बाबे इल्म से दाखिल हो। अंत में सलातो-सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो-अमान की दुआ मांगी गई। इस मौके पर नेहाल, मुन्ना, फैजान, हाफिज शारिक, हाफिज गुलाम गौस, असलम, आरिफ, तारिक, फुजैल, चांद आदि मौजूद रहे।
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