इबादत व तिलावत में बीता नौवां रोजा
सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
माह-ए-रमज़ान का पहला अशरा रहमत का गुरुवार की शाम समाप्त हो जाएगा। दूसरा अशरा मग़फिरत (गुनाहों की माफ़ी) का शुरू होगा। बुधवार को माह-ए-रमज़ान का नौवां रोज़ा नमाज व कुरआन-ए-पाक की तिलावत में बीता। माह-ए-रमज़ान की रहमत सभी पर बराबर बरस रही है। करीब 13 घंटा 31 मिनट का रोज़ा रोजेदारों के सब्र का इम्तिहान ले रहा है, हालांकि मौसम से काफी राहत मिलती मिल रही है। रोजेदार अल्लाह को राज़ी करने में जी जान से जुटे हुए हैं। दिन में रोज़ा रात में तरावीह की नमाज पढ़ी जा रही है। बाज़ार गुलज़ार है।
हज्जिन बीबी जामा मस्जिद धर्मशाला बाज़ार में सामूहिक रोजा इफ्तार हुआ। सबने मिलकर रोजा खोला और दुआ मांगी। वहीं दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद मस्जिद नार्मल, शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह, हज्जिन बीबी जामा मस्जिद धर्मशाला बाजार, दरोगा मस्जिद अफगानहाता में तरावीह की नमाज़ के दौरान एक कुरआन-ए-पाक पूरा हुआ। हाफिज-ए-कुरआन को तोहफों व दुआओं से नवाजा गया।
मुकीम शाह जामा मस्जिद बुलाकीपुर में तरावीह नमाज़ के इमाम हाफिज गुलाम जिलानी ने बताया कि दीन-ए-इस्लाम के पांच बुनियादी वसूल में रोज़ा भी एक है और इस अमल के लिए माह-ए-रमज़ान मुकर्रर किया गया। पाक परवरदिगार भी इबादत गुजार रोजेदार बंदे को बदले में रहमतों और बरकतों से नवाजता है। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है कि जो मुकद्दस रमज़ान में किसी मजलिस-ए-जिक्र में शिरकत करता है, अल्लाह उसके हर-हर कदम के बदले में एक-एक साल की इबादत का सवाब लिखता है। कयामत के दिन वह अर्श के साए में होगा। जो कोई मुकद्दस रमज़ान में नमाज़ें बा जमात अदा करता है यानी हर फ़र्ज़ नमाज बा जमात ही पढ़ता है, अल्लाह उस खुशनसीब को हर-हर रकात के बदले में नूर का एक शहर अता फरमाएगा।
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