सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
माह-ए-रमज़ान के पहले जुमा की नमाज़ शहर की सभी मस्जिदों में अदा की गई। मुल्क में अमनो अमान व खुशहाली की दुआ मांगी गई। फ़र्ज़ नमाज़ों के साथ नफ्ल नमाज़ पढ़ी गई। कुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। माह-ए-रमज़ान का पहला जुमा व चौथा रोज़ा अल्लाह को राज़ी करने में गुजरा।
मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक, जामा मस्जिद उर्दू बाजार, जामा मस्जिद रसूलपुर, गोरखनाथ जामा मस्जिद, दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद जामा मस्जिद नार्मल, मस्जिद सुब्हानिया तकिया कवलदह, गाजी मस्जिद गाजी रौजा, सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर, मक्का मस्जिद मेवातीपुर, चिश्तिया मस्जिद में बक्शीपुर, गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाजार सहित सभी मस्जिदों में भीड़ उमड़ी।
जुमा के नमाज की तैयारी सुबह से शुरु हो गई। लोगों ने गुस्ल किया। साफ सुथरे कपड़े पहने। इत्र लगाया। सिर पर टोपी सजाई। अज़ान होने से पहले ही बच्चे, नौजवान व बुजुर्गों ने मस्जिदों की ओर कदम बढ़ाए, ताकी पहली सफ में जगह मिल जाए। अज़ान से पहले नमाज़ियों से मस्जिदें भरनी शुरु हो गई। अज़ान होने तक मस्जिदे नमाज़ियों से भर गई। इसके बाद नमाज़ियों ने सुन्नत नमाज़ अदा की। तकरीर के बाद मस्जिदों के इमाम ने मिम्बर पर खड़े होकर ख़ुत्बा पेश किया। जुमा की नमाज़ अदा की गई। इमाम के साथ सभी ने अल्लाह की बारगाह में दुआ के लिए हाथ उठाए। इमाम की दुआ पर सभी ने आमीन की सदा बुलंद की। मिलकर दरूदो-सलाम पढ़ा गया। घरों में महिलाओं ने नमाज़ अदा की। कुरआन-ए-पाक की तिलावत की।
शाम को इफ्तारी की तैयारी शुरु हो गई। लजीज व्यंजन व शरबत से दस्तरख़्वान सज गए। शाम को असर की नमाज़ पढ़ी गई । इफ्तार का इंतजार शुरु हुआ। मस्जिद का डंका जैसे ही बजा, सबने अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए रोज़ा खोला। रोज़ा खोलने के बाद मस्जिदों का रुख किया। मग़रिब की नमाज़ अदा की। फिर थोड़ा चाय नाश्ता किया। इसके बाद इशा व तरावीह की नमाज अदा की। हफ्ते की ईद व चौथा रोज़ा मुसलमानों ने अल्लाह की रज़ा में गुजारा। बाजारों व मुस्लिम मोहल्लों में देर रात तक रौनक बनी रही।
उलमा किराम ने जुमा की तकरीर में यह कहा।
मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक में मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी ने कहा कि रोज़ेदार ख़ुशनसीब है जिसके लिए हर रोज जन्नत सजाई जाती है। रोज़ेदार की मग़फिरत के लिए दरिया की मछलियां दुआ करती हैं। रोज़ा सिर्फ भूखे रहने का नाम नहीं है बल्कि नफ्स पर कंट्रोल का जरिया है। असल रोज़ा तो वह है जिससे अल्लाह राजी हो जाए। जब हाथ उठे तो भलाई के लिए। कान सुने तो अच्छी बातें। कदम बढ़े तो नेक काम करने के लिए। आंख देखे तो जायज़ चीज़ों को। रमज़ान का अदबो एहतराम बेहद जरूरी है।
नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर में मौलाना मो. असलम रज़वी ने कहा कि रोज़ा सिर्फ खाने और पीने से दूर रहने का नाम नहीं, रोज़ा तो यह है कि बेहूदा बातों से बचा रहे। झूट, चुगली, गीबत, गाली देने व किसी को तकलीफ़ देने से बचें। यह चीजें वैसे भी नाजायज़ व हराम हैं।
गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने अल्लाह की इनायतों, रहमतों और बख़्शिश का जिक्र किया।
सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाज़ार के इमाम हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि रमज़ान का महीना इबादत का महीना है। मतलब इस महीने में ज्यादा से ज्यादा ऐसा काम किया जाए, जिससे अल्लाह व रसूल खुश हों और अल्लाह व रसूल को ख़ुश करने के लिए सबसे जरूरी है उनके बताए रास्ते पर चलना। ज्यादा से ज्यादा अल्लाह को याद करें। नमाज़ और कुरआन पढ़ें क्योंकि इस महीने में जो इबादत की जाती है, आम दिनों के मुकाबले ज्यादा सवाब देती है। एक दूसरे की मदद करें, जकात और फित्रा अदा करें। गरीबों को ज्यादा से ज्यादा सदका व खैरात दें। रोज़ेदारों को इफ्तार कराएं।
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