सैय्यद फरहान अहमद
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम मौलाना महमूद रज़ा कादरी ने बताया कि रोज़ा पैगंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ऐलान-ए-नुबूव्वत के पन्द्रहवें साल दो हिजरी में फ़र्ज़ हुआ। अल्लाह तआला ने कुरआन-ए-पाक में फरमाया "ऐ ईमान वालों तुम पर रोज़े फ़र्ज़ किए गए जैसे कि पिछलों पर फ़र्ज़ हुए कि तुम्हें परहेजगारी मिले"। मुसलमान सिर्फ अल्लाह की रज़ा के लिए साल में एक महीना अपने खाने-पीने, सोने-जागने के समय में तब्दीली करता है। ईमान की वजह से और सवाब के लिए रमज़ान की रातों में जागकर इबादत करेगा उसके अगले-पिछले गुनाह बख़्श दिए जाते हैं। रमज़ान की सुबह-शाम अल्लाह व रसूल के जिक्र में गुजारें। दूसरों की मदद करें। नेक बनें और दूसरों को नेक बनने की दावत दें।
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