सेराज अहमद कुरैशी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
शब-ए-बारात में रात भर जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। शब-ए-बरात को इबादत की रात भी कहते हैं। इस्लामी माह शाबान की 14वीं रात मगरिब की नमाज़ के साथ ही शुरू हो जाती है । शब-ए-बरात की रात को बुलंदी रात भी कहा जाता है। ईशा की नमाज़ से सुबह के फज़र की नमाज़ तक इबादत करने का समय होता है। यह दीन-ए-इस्लाम का आठवां महीना होता है। इसे माह-ए-शाबान यानी बहुत मुबारक महीना माना जाता है। शब-ए-बारात में रात भर जागकर लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। शब-ए-बरात के मौके पर मस्जिद और कब्रिस्तानों को खास तरीके से सजाया जाता है। शब-ए-बारात गुनाहों की माफी मांगने और अल्लाह की इबादत कर अपने पापों को दूर करने की रात है। इस रात दुनिया को छोड़कर जा चुके पूर्वजों की कब्रों पर उनके प्रियजन फातिहा पढ़ते हैं और दुआ मांगी जाती है। सच्चे दिल से माफी मांगने और दुआ करने वाले लोगों की इस रात मगफिरत कर दी जाती है। शब ए बारात की रात में तोबा सबसे ज्यादा कबूल होती है। अल्लाह ताला हमारे लिए रहमतों व नेकियों के दरवाजे खोल देते हैं।
नफिल नमाज फर्ज नहीं है। यह एक सुन्नत है। अगर आप पढ़ लेंगे तो आपको इसका सवाब मिलेगा। अल्लाह ताला ने जो हमारे लिए पांच वक्त का नमाज़ मुकर्रर किये हैं, वह फर्ज है। अगर फर्ज नमाज़ को समय पर ना पढ़ें तो, वह कजा़ हो जाती है। कजा़ नमाज हमें जरूर पढ़ लेनी चाहिए। पांच वक्त के सभी फर्ज एवं वितर नमाज़ की कजा़ जरूर पढ़ना चाहिए। शब ए बारात की रात में नफिल से ज्यादा कजा़ ए उमरी की नमाज़ को तर्जीह देना चाहिए।
इस अवसर पर हज़रत बाबा करीमुल्लाह शाहीद रहमतुल्लाह अलैह के मीडिया इंचार्ज मोहम्मद आकिब अंसारी ने कहा कि शबे बरात की रात खुब इबादत करे। कुरान की तिलावत करे। शबे बारात कि रात को इबादत वाली रात बनाऐ। अल्लाह तआला से दुआ करें। अपने मुल्क में अमन - व भाईचारगी, मुल्क की तरक्की और तमाम उम्मते मुस्लिमां पर होने वाले अत्याचार के लिए खूसूसी दुआ करें। जितने भी मुसलमान इस दुनिया से जा चुके हैं, उनकी मगफिरत के लिए दुआ करें। शबे बारात की रात में आतिशबाजी एवं सड़कों पर निकल कर उधम मचाने को हराम करार दिया गया है। इस रात में सड़कों पर निकल कर किसी भी तरह की कोई भी आतिशबाजी, उधम बाजी, बाइक रेसिंग आदि बिल्कुल ना करें। प्रशासन का ज्यादा से ज्यादा सहयोग करें। यह रात सिर्फ और सिर्फ इबादत की रात है। इस रात में अल्लाह ताला से रो रो कर अपने गुनाहों की माफी तलब करा लें।
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