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भगवान् भी अपने भक्त की चिंता में ली रहते है एवं भक्त का कल्याण करते है।

अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मलेन" द्वारा "नानीबाई रो मायरो" की कथा ( ज्ञान यज्ञ) का तृतीय एवं अंतिम दिवस संपन्न हुआ।

हफ़ीज अहमद खान

कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश।

कथावाचक गौरव व्यास ने आज कहा, कल की कथा में हम सबने जाना था कैसे भगवान् श्री कृष्ण अपने भक्त का मान रखने के लिए एक सेठ का रूप धारण करते है और नानीबाई का मायरा भरने स्वम् प्रकट होते है, ऐसा मायरा न भूतकाल में किसी ने भरा था और न भविष्य में कोई भर पाया। किलोमीटर की कतार लगी हुई थी इतना सामान नानीबाई के मायरे में। यह देख नगरवासियो ने भगवान् से उनका परिचय जाने के लिए पूछा कि जब नरसी जी इतना समर्तः वान नहीं है तो आप कौन है जो नानीबाई जी के मायरे में इतना धन लुटा रहे है? तब सबका मुह बंद करते हुए भगवान् ने उत्तर दिया की वे नरसी जी के दास है, अतः नरसी जी उनके स्वामी है। वे जो कुछ भी कर रहे है उनकी आज्ञानुसार ही कर रहे है। यह सुनकर सबने भगवान् की जय जय कार की और नरसी जी से छमा मांगी। इस कथा से हम सीखते है की जितनी चिंता हमको खुद की होती है उससे कही ज्यादा चिंता भगवान् हो हमारी होती है, अतः भगवान् तो भक्त की भक्ति से बंधे है वे भक्त की एक पुकार में दौड़े चले आते है।आज की कथा में सुधा गुप्ता, प्रेम लता सरफ्फ़, पल्लवी भर्तिया, माला नेमानी, रंजना गर्ग, उषा गोयनका, अलका नेवटिया, अनुराधा अग्रवाल, नीलम अग्रवाल आदि संस्था के अनके लोग उपस्थित रहे ।

Jr. Seraj Ahmad Quraishi
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