शहाबुद्दीन अहमद
बेतिया, बिहार।
मुस्लिम समुदाय का मोहर्रम का महीना नव वर्ष के रूप में जाना जाता है,यह साल का पहला महीना होता है,इसमें मुस्लिम समुदाय के लोग अधिकतरअपनेअपने घरों,दुकानों पर हरा रंग का झंडा लगाते हैं। संवाददाता ने इस पर्व के अवसर पर बिकने वालाआवश्यक सामान,हरा झंडा,हरा टी शर्ट,हरी पट्टी, तलवार,लाठी,ढोल,ताशा व अनेक सामानों की दुकानें बड़ी मात्रा में लगी रहती हैं,जहां मुस्लिम समुदाय के अलावा अन्य समुदाय के लोग भी अपने आवश्यकताअनुसार सामान खरीदते हैं,इसको खरीदने मेंअधिकतर युवक, छोटे-छोटे बच्चे ज्यादा भागीदारी बनते हैं।स्थानीय मीना बाजार के पास स्थित जंगी मस्जिद के पास इन सामानों की कई दुकानें लगी रहती हैं,जहां से इन सभी सामानों की बिक्री की जाती है।संवाददाता ने भ्रमण करके कई दुकानदारों से इन सामानों की बिक्री के बारे में पूछा तो लोगों ने बताया कि इस साल मोहर्रम पर्व के अवसर पर सामानों की बहुत अधिक बिक्री हुई है,जिसने सबसे अधिक हरा झंडा,हरा टीशर्ट, हरा टोपी,सर में बांधने वाली हरी पट्टी,तलवार,लाठी डंडा, ढोल ताशा की अधिक बिक्री हुई है,इन सामानों की खरीदारी में शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की ज्यादा भागीदारी है। शहर के दूसरे क्षेत्र में कालीबाग, इमामबाड़ा के पास अनेकों प्रकार के छोटे-बड़े,मझोले ताजिया बनाए जा रहे हैं, जिसकी बिक्रीअधिक से अधिक हो रही है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के लोग इन ताजियों को खरीद कर हजरत इमाम हुसैन की याद में उनके चौकी पर रखते हैं।
मोहर्रम की दसवीं तारीख को मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं,इबादत करते हैं, गरीबों,मिस्किनों को खाना खिलाते हैं,इसी दिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत याद आती है,इन्होंने उस समय के जालिम बादशाह यजीद जो बुराइयों से पूरा भरा हुआ था, उन की गलत,नाजायज बातों को नहीं मान करके इंसानियत को बचाने के लिए उन्होंने जंग लड़ी,जिसमें,जिसमे पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहेवसल्लम के दोनों नवासे,हसन व हुसैन दोनों को दसवीं मोहर्रम यौमेआशूरा के दिन,उस समय के जालिम, शराबी,पापी बादशाह यजीद ने हजरत इमाम हुसैन को नमाज पढ़ने के बीच में तीरों से मार मार कर लहूलुहान कर दिया जिसे वह जमीन पर गिर गए,और शहीद हो गए, इस समय बुराई पर अच्छाई की जीत हुई,और इमाम हुसैन शहीद हो गए,इन्हीं की याद में मोहर्रम पर्व को मनाया जाता है
© Copyright All rights reserved by India Khabar 2025