मानववाद की धारा को मजबूत करने का अर्जक संघ ने लिया संकल्प।
गया, बिहार।
मानववादी संगठन अर्जक संघ का दो दिवसीय जिला सम्मेलन6 एवं 7 मई 2023 को संपन्न हो गया। सम्मेलन के इस दौरान 20 सदस्यीय जिला कार्यकारिणी समिति का भी गठन किया गया। सम्मेलन के प्रथम दिन गया कॉलेज के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रामकृष्ण प्रसाद यादव ने सम्मेलन का विधिवत उद्घाटन करते हुए कहा कि मानववादी संगठन अर्जक संघ देश में व्याप्त विषमतामूलक संस्कृति पर आधारित व्यवस्था को समाप्त कर मानववाद की स्थापना के लिए संघर्षरत रहा है। उन्होंने पुनर्जन्म, भाग्यवाद, अंधविश्वास और चमत्कार को कोरा काल्पनिक की संज्ञा देते हुए कहा कि इसकी समाप्ति के बिना देश और समाज का विकास संभव नहीं है।इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सम्मेलन को संबोधित करते हुए अन्य वक्ताओं में शोषित समाज दल के प्रांतीय उपाध्यक्ष राम भजन मानव, छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के कारू जी, राजनंदन प्रसाद समेत अन्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किया तथा देश से मनुवादी व्यवस्था को समाप्त करने का संकल्प दुहराया। सभा संबोधन के पूर्व अर्जक संघ के जिला समिति के सदस्य रहे जितेंद्र कुमार ने आगत अतिथियों को स्वागत किया।वहीं सम्मेलन में जिलामंत्री विनोद विरोधी ने प्रतिवेदन रिपोर्ट पेश किया।जिस पर उपस्थित सदस्यों ने सर्वसम्मति से समर्थन देकर पारित किया। सम्मेलन के दूसरे दिन चुनाव पदाधिकारी डॉ राजकुमार बौद्ध के नेतृत्व में 20 सदस्यीय जिला कार्य समिति का गठन नए सिरे से किया गया। इनमें प्रहलाद राय को जिलाध्यक्ष, विनोद विरोधी को जिलामंत्री, जितेंद्र कुमार को कोषाध्यक्ष के पद पर चयन किया गया है इसके अलावा कार्यकारिणी समिति में राजेंद्र प्रसाद सिंह, परमेश्वर अर्जक,भिखारी अर्जक, मुंगेश्वर प्रसाद यादव, श्याम बिहारी यादव, संजय मंडल ,मनोज कुमार, अविनाश कुमार, रजनीकांत रवि, रामकृष्ण प्रसाद अर्जक, देवनंदन प्रसाद, बालमुकुंद प्रसाद, वीरेंद्र अर्जक,बृजेश कुमार, नागमणि प्रसाद, नागेंद्र प्रसाद ,आदि को शामिल किया गया है। जिला समिति गठन के पश्चात सभी पदाधिकारियों को अभिनंदन किया गया तथा अर्जक संघ के पूर्व प्रदेश महामंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह ने सम्मेलन का समापन भाषण देते हुए कहा कि अर्जक संघ की नई जिला समिति से संगठन के विस्तार की बहुत आशा और उम्मीद है। सम्मेलन की समाप्ति के पश्चात नवगठित जिला समिति की पहली बैठक का भी आयोजन किया गया जिसमें संगठन के विस्तार, कोष संग्रह एवं अर्जक साहित्य के प्रचार-प्रसार पर विशेष जोर दिया गया।
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