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औरतों पर जुमा की नमाज फर्ज नहीं है - उलमा किराम


गोरखपुर, उत्तर प्रदेश। 


तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्प लाइन नंबर पर गुरुवार को रोजा, नमाज, जकात, सदका-ए-फित्र व ईद की नमाज आदि के बारे में सवाल आते रहे। उलमा किराम ने शरीअत की रोशनी में जवाब दिया।

1. सवाल : औरतों पर जुमा की नमाज पढ़ने का क्या हुक्म है? (वसीम, तकिया कवलदह)

जवाब : जुमा की नमाज मर्दों पर फर्ज है। औरतों पर जुमा की नमाज फर्ज नहीं। वह रोज़ाना की तरह नमाजे जोहर अदा करें।(कारी मो. अनस रज़वी)

2. ईद की नमाज मस्जिद में पढ़ना कैसा है? (जुबैर, गोरखनाथ)

जवाब : ईदैन की नमाज वाजिब है और उसके लिए खुले मैदान में निकलकर अदा करना सुन्नत है, बगैर किसी उज्र के ईद की नमाज मस्जिद में पढ़ना खिलाफे सुन्नत है। अलबत्ता किसी उज्र की वजह से ईदगाह या खुले मैदान में नमाज पढ़ना मुश्किल हो तो मस्जिद में पढ़ना जायज है। (मुफ्ती मो. अजहर शम्सी)

3. सवाल : अगर सूरह फातिहा पढ़ने के बाद सूरत मिलाना भूल जाए और रुकु में याद याद आए तो क्या करें? (अदहम, छोटे काजीपुर)

जवाब : अगर सूरत मिलाना भूल जाए फिर रुकु में याद आए तो खड़ा हो जाए और सूरत मिलाए फिर रुकु करे और आखिर में सजदा-ए-सह्व करे। (मौलाना जहांगीर अहमद)

4. सवाल : नमाजे चाश्त कितनी रकात है? (मो. आज़म, खोखर टोला)

जवाब : चाश्त की नमाज मुस्तहब है। कम से कम दो और ज्यादा से ज्यादा बारह रकात है। हुजूर अलैहिस्सलाम ने फरमाया जो चाश्त की दो रकातों पर मुहाफजत करे उसके गुनाह बख्श दिए जाएंगे, अगरचे समंदर के झाग के बराबर हो। (मौलाना मोहम्मद अहमद)

Karunakar Ram Tripathi
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