ब्यूरो चीफ अंजुम शहाब की रिपोर्ट। मुजफ्फरपुर, बिहार।
जीविका मुजफ्फरपुर के तत्वाधान में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत बिहार के 8 जिलों के एक-एक प्रखंडों में जीविकोपार्जन गतिविधियों के क्षमता आकलन हेतु कार्यशाला का आयोजन मुजफ्फरपुर में मंगलवार को किया गया। इस कार्यशाला का शुभारंभ जिला कृषि पदाधिकारी शिलाजीत सिंह, जिला मत्स्य पदाधिकारी डॉ नूतन, पशुपालन एवं गव्य विकास पदाधिकारी डॉ अवधेश कुमार के साथ ही एन आर एल एम के राष्ट्रीय मिशन प्रबंधक जीविकोपार्जन विवेक कुंज और जीविका की डीपीएम अनिशा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। दो दिवसीय इस कार्यशाला में पहले दिन उन्मुखीकरण किया गया जबकि दूसरे दिन क्षेत्र भ्रमण कर योजनाओं की जानकारी दी जाएगी ।इस कार्यशाला में नालंदा, गया, मुजफ्फरपुर,दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर ,खगड़िया और बेगूसराय इन आठ जिलों के आठ प्रखंडों के प्रखंड परियोजना प्रबंधक और इनके साथ ही सभी जिलों के कृषि प्रबंधक, पशुपालन प्रबंधक और गैर कृषि प्रबंधक ने संयुक्त रूप से भाग लिया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य उक्त सभी जिलों के एक -एक प्रखंडों में पशुपालन खेती, मछली पालन इत्यादि की समस्याओं और योजनाओं के लाभ को लेकर विस्तृत आंकलन की गई। इस कार्यशाला के माध्यम से लखपति दीदी योजना से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ना है। इस योजना का मकसद एक महिला जो समूह से जुड़ी हैं उनको कृषि, पशुपालन और गैर कृषि साधनों से आमदनी बढ़ाते हुए लखपति बनाना है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा सभी जिलों में जीविकोपार्जन गतिविधियों के लिए क्या क्षमता है उस पर विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए अलग-अलग जिलों में मिट्टी के प्रकार, पौधों को किस तरह से देखभाल किया जाए , पशुपालन , दलहन तिलहन की खेती और मछली पालन के साथ ही अन्य जीविकोपार्जन के साधनों पर विस्तृत रूप से चर्चा की गई। नाबार्ड ,आत्मा, गव्य विकास और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ किस तरह से ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिले इसके लिए रणनीति बनाते हुए जिन समस्याओं के कारण लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है उसे दूर करने की चर्चा की गई । गव्य विकास, मछली पालन और कृषि विभाग से जुड़े योजनाओं को जमीनी स्तर पर लोगों तक पहुंचाने के लिए आठ जिलों के एक एक प्रखंडों को पायलट के तौर पर तैयार किया जाएगा जहां पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को सरकार की सभी योजनाओं का लाभ देते हुए एकीकृत कृषि मॉडल को बढावा देते हुए। कई नए और वैज्ञानिक तरीकों से किसानों की आमदनी बढ़ाने पर चर्चा की गई।
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