अपर निजी सचिव परीक्षा-2010 के संबंध में आया बड़ा फैसला।
लखनऊ, उत्तर प्रदेश।
05 साल का इंतज़ार करने के बाद योगी सरकार में 249 अभ्यर्थियों को आखिरकार न्याय मिल गया। सरकार ने उच्चतम न्यायालय में अपर निजी सचिव सेवा नियमावली 2001 और पाठ्य विवरण नियमावली 1987 के क्रम में 1990 का हवाला देते हुए दोनों नियमावलियों को समान रूप से लागू होने और उसमें दिए गए प्राविधानों के तहत वर्ष 2018 में अपर निजी सचिवों का पक्ष रखते हुए हलफनामा दाख़िल किया था।
अपर निजी सचिवों के पक्ष में माननीय उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने के बाद उत्तर प्रदेश सचिवालय में रिक्त पड़ी लगभग 500 पदों की भर्तियों का रास्ता साफ हो गया है।
उत्तर प्रदेश शासन में अपर निजी सचिव संघ के अध्यक्ष ने इसके लिए माननीय उच्चतम न्यायालय और माननीय मुख्यमंत्री जी का आभार जताया है। उत्तर प्रदेश सचिवालय, अपर निजी सचिव परीक्षा 2010 के संबंध में उत्तर प्रदेश सचिवालय व्यक्तिक सहायक सेवा नियमावली 2001 के अनुसार उत्तर प्रदेश सचिवालय में अपर निजी सचिव पद पर सीधी भर्ती लोक सेवा आयोग के माध्यम से कराए जाने की व्यवस्था है। अपर निजी सचिव की चयन वर्ष 2002-2003 से 2008- 2009 तक की 250 रिक्तियों पर भर्ती हेतु दिनांक 16.06. 2010 को अधियाचन लोक सेवा आयोग को भेजा गया था। लोक सेवा आयोग द्वारा दिनांक 25.12.2010 को परीक्षा हेतु विज्ञापन प्रकाशित कराया गया तथा चयनित अभ्यर्थियों के अंतिम परीक्षा परिणाम दिनांक 03.10.2017 को घोषित किया गया एवं चयनित अभ्यर्थियों की संस्तुतिया 16.11.2017 को शासन को प्रेषित किया गया।
माननीय उच्च न्यायालय के उक्त आदेश का शासन स्तर पर अनुपालन किया गया। दिनांक 24 नवंबर 2017 को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता माननीय उच्च न्यायालय में उपस्थित हुए एवं माननीय न्यायालय द्वारा दिनांक 28 नवंबर 2017 को अंतिम रूप से सुनवाई के आदेश दिए गए। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 5% एवम पुनः 3% गलतियों की छूट के संबंध में यह निर्णय लिया गया कि कंडोनिंग गलती 5% एवं 3% ऐसेप्सन केस
प्रोविजन ऑफ रूल्स 8(11) का बैलेट नहीं करता है। माननीय उच्च न्यायालय यह स्वीकार किया कि परीक्षा में 5% एवं 3% की सीमा में गलतियों की छूट देने से उत्तर प्रदेश सचिवालय व्यक्तिक सहायक सेवा नियमावली 2001 के नियम 8(11) का उल्लंघन नहीं होता है एवं यह भी स्पष्ट करना है कि 5 प्रतिशत एवं 3% की छूट के संबंध में SAD E-2 द्वारा जारी अध्यादेश दिनांक 24 जनवरी 1987 में यह व्यवस्था दी गई है कि किसी अभ्यर्थी की त्रुटियां आदेश 5% से अधिक होगी तो उसे सेवायोजन अहर्र नहीं समझा जाएगा परंतु आयोग अपने विवेकानुसार त्रुटियों की छूट दे देने के संबंध में अधिकतम 3% तक त्रुटियों की छूट दे सकता है।
उपरोक्त सभी बिंदुओं को आधार मानते हुए अपर निजी सचिव परीक्षा 2010 में सफल हुए अभ्यर्थियों को योगी सरकार में सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीशों की खंडपीठ ने बड़ा फैसला दिया है, जिस पर समस्त योग्य व्यक्तियों को न्याय मिला है। इस न्याय से सभी अभ्यर्थियों में खुशी की लहर है।
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