यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है।
मिल बंद होने से 5 लाख की आबादी प्रभावित।
गोपालगंज, बिहार।
गन्ना मिल/किसानों के हालात की बखूबी जानकारी रखने वाले स्थानीय लोंगो ने बताया कि पिछले 3 सालों से मिल के बंद रहने से 40 हजार गन्ना किसानों के साथ-साथ , हजारों कामगार, छोटे-बड़े दुकानदार, व्यापारी, वाहन कारोबारी, उनसे जुड़े परिवार के कम से कम 5 लाख की आबादी बुरी तरह प्रभावित हुई है। इन सबों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। किसानों, मिल मज़दूरों ने मामले से स्थानीय सांसद, विधायकों, सीएम और सूबे के मंत्रियों को भी अवगत कराया है। करोड़ों रुपये मिल पर बकाया है। यह पैसा कब और कौन देगा, यह क्लियर नही है। इससे गन्ना किसान चिंतित है।मिल मालिकों द्वारा सरकार से गुहार लगाई गई।मिल मालिकों और किसानों ने अभी आस नही छोड़ी है।जबसे नीतीश सरकार के पहल पर जबसे रिगा शुगर मिल चालू हुई है तब तबसे सभी से सासा मूसा शुगर मिल के फिर से चालू होने की काफी उम्मीदें जगी है। जानकारों का मानना है कि इस बार सरकार की अगर पहल होगी। इसी उम्मीद को दिल में आस पाले किसान खुश है,की सरकार कब हम लाखों परिवारों की सूदी लेगी। मिल प्रबंधन द्वारा शासन प्रशासन एवं प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुहार लगाई जा रही है। आगामी विधानसभा चुनाव सर पर है ।मज़दूरों, किसानों ,मिल् मालिकों एवं स्थानीय लोगों में एक आस जगी है कि सरकार रिगा मिल के तर्ज पर इस सासा मूसा शुगर मिल चालू करवाने की पहल करेगी।बिहार प्रदेश की महत्वपूर्ण इकाई में शूमार सासा मूसा शुगर मिल की उत्पादन क्षमता सूबे की सबसे अधिक थी। फैक्ट्री मालिकों व मिल के किसान, मजदूर संगठनों ने अनेक बार सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास अपने स्तर से करते रहें हैं।
देखते हैं सरकार कब सूध लेगी।
संछिप्त एक नज़र---
* सासा मूसा सुगर मिल सन 1932 से शुरू हुई थी।
* 3 साल तक मिल मालिकों द्वारा अपने खर्च पर बिना किसी सरकारी मदद के चलाया था।
* 2017 में हुआ एक हादसे के बाद भी मिल मालिको ने मिल को चलाया था।
* मिल मालिकों को सरकारी मदद की है उम्मीद।
* बैंक द्वारा जबरन लगाया गया मिल पर ताला।
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